सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (13 अक्टूबर, 2025) को कहा कि ज्यूडिशियल सर्विसेज में आने वाली लगभग 60 प्रतिशत न्यायिक अधिकारी महिलाएं हैं और वे आरक्षण के कारण नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर सेवा में आ रही हैं.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने देश भर की विभिन्न अदालतों और बार एसोसिएशनों में महिला वकीलों को पेशेवर चैंबर/केबिन आवंटित करने के लिए एक समान और लैंगिक रूप से संवेदनशील नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र, भारतीय विधिज्ञ परिषद, सुप्रीम कोर्ट के महासचिव और अन्य को नोटिस जारी किए.
जस्टिस सूर्यकांत ने महिला वकीलों को चैंबर आवंटन में आरक्षण की मांग वाली याचिका पर सवाल उठाया और कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से चैंबर प्रणाली के खिलाफ हैं और इसके बजाय क्यूबिकल प्रणाली और सामान्य बैठने की जगह होनी चाहिए, जहां वकील काम कर सकें.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘हम विभिन्न मंचों पर बोलते रहे हैं और इस बात पर प्रकाश डालते रहे हैं कि कैसे अधिक से अधिक महिलाएं न्यायिक सेवाओं में प्रवेश कर रही हैं. न्यायिक सेवाओं में प्रवेश करने वाले लगभग 60 प्रतिशत न्यायिक अधिकारी महिलाएं हैं और वे आरक्षण के आधार पर नहीं, बल्कि योग्यता के आधार पर ऐसा कर रही हैं.’
बेंच ने कहा कि अगर कोर्ट को महिला अधिवक्ताओं के चैंबरों के तरजीही आवंटन के अनुरोध पर विचार करना है, तो किसी दिन यह विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों का मामला हो सकता है. याचिकाकर्ता भक्ति पसरीजा और अन्य की ओर से सीनियर एडवोकेट सोनिया माथुर ने कहा कि वर्तमान में सिर्फ रोहिणी अदालत में ही महिलाओं के लिए चैंबर आवंटन में 10 प्रतिशत आरक्षण है.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की नई बिल्डिंग में वकीलों के लिए जगह का निर्माण अगले 50 सालों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया गया है. बेंच ने यह भी सुझाव दिया कि महिलाओं के लिए क्रेच सुविधाओं पर भी ध्यान दिया जा सकता है क्योंकि फैमिली प्रेशर की वजह से कई युवा वकीलों को नौकरी छोड़नी पड़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के साथ उन वकीलों के लिए भी सुविधाओं पर ध्यान देने की जरूरत है, जो स्पेशली एबल्ड हैं.
याचिकाकर्ता का कहना है कि वह 15-25 सालों से वकील के तौर पर काम कर रही हैं, लेकिन उन्हें अभी तक न तो कोई चैंबर अलॉट किया गया और न ही कोई प्रोफेशनल स्पेस दिया गया है. चैंबर के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की वेटिंग लिस्ट में रखा गया है. उन्होंने कहा कि चैंबर या केबिन अलॉटमेंट में कोई कोटा या महिलाओं के लिए रिजर्वेशन जैसी चीज नहीं है. जुलाई से अक्टूबर के बीच सुप्रीम कोर्ट के डी ब्लॉक में 68 क्यूबिकल अलॉट किए गए, जिसमें महिला वकीलों को प्रथामिकता नहीं दी गई, जबकि सुप्रीम का कोर्ट का निर्देश था कि अलॉटमेंट में महिला वकीलों को तरजीह दी जाए.
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