अब नौकरी के लिए नहीं करना होगा मेट्रो शहरों का रुख, अब इन सिटीज में होंगे रोजगार के बंपर मौके

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New Job Opportunities:  टियर 2 और टियर 3 शहर के युवा अक्सर ही दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर में काम करने का सपना देखते है. इनमें से कई लोगों का सपना पूरा हो जाता है तो वहीं, कुछ के सपने अधूरे रह जाते हैं. हालांकि, हाल में आए एक रिपोर्ट ने रोजगार की तलाश कर रहे लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. लखनऊ, इंदौर, जयपुर, भुवनेश्वर, सूरत और नागपुर जैसे छोटे शहरों की नौकरियों में हर साल 21 प्रतिशत की तेजी देखी जा रही है. जो बड़े शहरों की तुलना में ज्यादा है. मेट्रो शहर के ग्रोथ 14 प्रतिशत के आस- पास है. जिससे साफ पता चलता है कि, छोटे शहरों में रोजगार के अवसर ज्यादा बन रहे हैं.

क्या कहती है रिपोर्ट?

रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि ई कॉमर्स गोदाम, कॉल सेंटर और त्योहार के समय होने वाले पर्यटन के कारण छोटे शहरों में रोजगार के नए अवसर बन रहे है. हालांकि कई क्षेत्रों में यह बदलाव स्थायी तौर पर हो रहे है. जिसका मतलब है कि लोगों को रोजगार के पर्याप्त अवसर मिलते रहेंगे. जिससे अब छोटे शहर के युवाओं को नौकरी की तलाश में महानगरों का रास्ता नहीं चुनना होगा. 

मेट्रो शहरों में आईटी, बैंकिंग, मीडिया, मार्केटिंग और मनोरंजन क्षेत्र में ग्रोथ देखी जा रही है. इन क्षेत्रों में लोगों को पर्याप्त अवसर मिल रहे है. इसके बावजूद भी नौकरियों में ग्रोथ रेट 14 प्रतिशत ही है. रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी है कि देश के टियर 2 और टियर 3 शहरों में रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं. जो युवाओं के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर है. 

मेट्रो और छोटे शहर में किसका करें चयन?

नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए यह एक जरूरी सवाल हो सकता हैं कि, उन्हें मेट्रो शहर को रुख करना चाहिए या फिर अपने ही शहर में रहकर नौकरी के अवसर तलाशने चाहिए. इसका जवाब भी उनके ही पास है. अगर वे नए अवसरों और करियर की तलाश में मेट्रो शहर आते है तो उन्हें कई दूसरे खर्च भी उठाने होंगे. 

घर का किराया, ट्रांसपोटेशन और खाने पीने का अतिरिक्त खर्च उन्हें वहन करना होगा. वहीं अगर वे अपने शहर में ही रुकने का फैसला लेते है तो ये खर्च सीमित हो सकते है. हालांकि दोनों ही जगहों पर जॉब सैलरी में फर्क होता है. इसलिए किसी भी तरह के फैसले से पहले अपनी प्राथमिकता तय कर लेनी चाहिए.   

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