‘अमेरिका नहीं, खुद पर भरोसा करे भारत’, ट्रंप के चीन पर 100 परसेंट टैरिफ लगाने पर बोला GTRI

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ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (GTRI) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत को अमेरिका के साथ होने वाली वार्ताओं में बेहद सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए और उसे वॉशिंगटन पर निर्भर रहने के बजाय अपनी आत्मनिर्भरता पर ध्यान देना चाहिए. इस रिपोर्ट में GTRI ने चीन पर अमेरिका द्वारा लगाए गए नए शुल्कों के असर और भारत को अपनानी वाली रणनीति का विश्लेषण किया है.

अमेरिका ने चीन पर लगाए 100% अतिरिक्त शुल्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीनी आयात पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे कुल शुल्क लगभग 130% तक पहुंच जाएगा. यह नए शुल्क 1 नवंबर से लागू होंगे. यह कदम 2018 की टैरिफ जंग के बाद अमेरिका-चीन व्यापार तनाव में सबसे बड़ी वृद्धि मानी जा रही है. वॉशिंगटन की यह कार्रवाई चीन द्वारा दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर सख्त प्रतिबंध लगाने के जवाब में है- ये खनिज अमेरिका के रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्रों के लिए बेहद अहम हैं.

भारत को ‘बराबरी के आधार’ पर करनी चाहिए बातचीत
GTRI ने कहा कि भारत को अमेरिका के साथ समझौते ‘बराबरी के आधार’ पर करने चाहिए और किसी भी समझौते को अंतिम नहीं मानना चाहिए. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि भारत को पारस्परिक लाभ सुनिश्चित करते हुए अपनी रणनीतिक स्वायत्तता की रक्षा करनी चाहिए. सोच संस्थान ने चेतावनी दी कि ‘अमेरिका के बदलते वादों’ पर निर्भर होने के बजाय भारत को महत्वपूर्ण तकनीकों और खनिजों में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि भविष्य के व्यापारिक झटकों से अर्थव्यवस्था सुरक्षित रहे.

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि भारत को अपने निष्पक्ष रुख का इस्तेमाल करते हुए पश्चिमी देशों और BRICS देशों- दोनों के साथ संबंधों को और मजबूत करना चाहिए. इससे भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में संतुलित भूमिका निभाने में मदद मिलेगी.

नई टैरिफ जंग से बढ़ेंगे दाम, सप्लाई चेन पर असर
अमेरिका और चीन के बीच नए व्यापारिक तनावों के चलते इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टरबाइनों और सेमीकंडक्टर पार्ट्स की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार, अगर अमेरिका अपने सहयोगियों से सपोर्ट मांगेगा, तो लागत और बढ़ सकती है क्योंकि कोई भी देश चीन की दुर्लभ खनिजों में पकड़ का जल्दी विकल्प नहीं बन सकता. GTRI ने बताया कि अमेरिका अपने मिनरल सप्लाई चेन को ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम और कनाडा की ओर मोड़ने की कोशिश करेगा, जबकि चीन अपने गैर-पश्चिमी सहयोगियों को सप्लाई बढ़ाकर वैकल्पिक औद्योगिक नेटवर्क मजबूत करेगा.

अमेरिका को हो सकता है चीन से समझौते के अलावा कोई रास्ता न बचे
रिपोर्ट में कहा गया कि दुर्लभ खनिजों की अहमियत को देखते हुए, अमेरिका के पास जल्द ही चीन से नई डील करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा. GTRI ने टिप्पणी की, ‘अमेरिका अक्सर आर्थिक परिणामों को तौले बिना कदम उठाता है, जबकि चीन अधिक सोच-समझकर और बेहतर तैयारी के साथ काम करता है.’



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