ऑपरेशन सिंदूर के महज पांच महीने के भीतर रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस बजट का 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हथियारों और दूसरे सैन्य उपकरणों पर खर्च कर लिया है. इस साल (2025-26) डिफेंस बजट में से पूंजीगत व्यय करीब 1.80 लाख करोड़ है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सितंबर महीने तक करीब 93 हजार करोड़ (92,211,768.40) उपयोग हो चुके हैं.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 50 प्रतिशत से अधिक पूंजीगत परिव्यय के उपयोग से आगामी वर्ष में सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए आवश्यक एयरक्राफ्ट, युद्धपोत, पनडुब्बी, हथियार प्रणाली आदि जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी.
आर्थिक विकास और रोजगार सृजन पर प्रभाव
अधिकांश व्यय विमानों और हवाई इंजनों पर हुआ है. इसके बाद थल सेना, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण, आयुध और प्रक्षेपास्त्रों पर व्यय किया गया है. पिछले वित्त वर्ष में रक्षा मंत्रालय ने 1.60 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का 100 प्रतिशत उपयोग किया था.
रक्षा क्षेत्र के लिए पूंजीगत व्यय महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह नई परिसंपत्तियों के अधिग्रहण, अनुसंधान एवं विकास, और सीमावर्ती क्षेत्रों में अवसंरचनात्मक विकास के लिए धन मुहैया कराता है, जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है. इसके अलावा, पूंजीगत व्यय का आर्थिक विकास और रोजगार सृजन पर गुणात्मक प्रभाव पड़ता है.
सेना के परिव्यय में 5 सालों में 60 प्रतिशत की वृद्धि
व्यय की इस गति और अनुमोदन के अग्रिम चरणों में शामिल बड़ी परियोजनाओं के साथ, रक्षा मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के अंत तक पूंजीगत मद के अंतर्गत आवंटन का पूर्ण उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके साथ ही, मंत्रालय संशोधित अनुमानों के लिए चर्चा हेतु बजटीय अनुमानों पर काम कर रहा है.
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष में, रक्षा मंत्रालय को वित्त मंत्रालय की ओर से बजट अनुमान चरण में पूंजीगत मद के अंतर्गत 1.80 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. यह आवंटन वित्त वर्ष 2024-25 के वास्तविक व्यय से 12.66 प्रतिशत अधिक है. पिछले कई सालों में सेना के तीनों अंगों के लिए पूंजीगत परिव्यय के अंतर्गत आवंटन में वृद्धि का रुझान रहा है. पिछले पांच वर्षों के दौरान इसमें लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
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