मशहूर प्लेबैक सिंगर कुमार सानू की ओर से पर्सनैलिटी राइट्स और मोरल राइट्स की सुरक्षा को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई. दिल्ली हाई कोर्ट ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब से पूछा कि जिन URL पर मॉर्फ्ड वीडियो और अभद्र भाषा इस्तेमाल की गई है, उन्हें ग्रिवांस ऑफिसर के जरिए क्यों नहीं हटाया जा रहा.
कोर्ट में सुनवाई करते हुए जस्टिस मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को स्पष्ट करना होगा कि याचिकाकर्ता कुमार सानू के अनुसार जिन कंटेंट में मॉर्फ्ड वीडियो और अपशब्द शामिल हैं उन्हें IT रूल्स के तहत हटाने से क्यों रोक रहा है.
मेटा के वकील ने कोर्ट में दी अहम दलील
दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान मेटा के वकील ने कोर्ट को बताया कि डिफेमेशन शब्द IT रूल्स से हटा दिया गया है. एक इंटरमीडियरी के तौर पर हम तय नहीं कर सकते कि क्या अभद्र है और क्या नहीं. यह मामला कोर्ट में ही तय होना चाहिए. इस दलील पर कोर्ट ने कहा जो कंटेंट आप हटा सकते हैं वह हटा दीजिए. शिकायत आने पर रूल्स के तहत कार्रवाई कीजिए और अगले दिन हमें बताइए कि क्या हटाया और क्या नहीं. हर कोई कोर्ट नहीं आ सकता.
कोर्ट ने कुमार सानू के वकील से मांगी डिटेल
दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कुमार सानू के वकील से कहा कि सभी सोशल मीडिया अकाउंट और URL की एक टेबल बनाकर बताएं और उनके खिलाफ कौन-सी राहत चाहिए. मेटा और गूगल को भी तय समय दिया गया कि वे कुमार सानू की ओर से सुझाए गए URL की समीक्षा करें.
कुमार सानू के वकील की दलील – बिना इजाजत हो रहा है इस्तेमाल
दिल्ली हाई कोर्ट में सिंगर कुमार सानू की तरफ से पेश वकील ने दलील देते हुए कहा कि कई GIF, वीडियो और ऑडियो में उनका चेहरा और आवाज बिना अनुमति के इस्तेमाल हो रहा है, जिससे उनकी इमेज खराब हो रही है और उन्हें अनचाहा मजाक सहना पड़ रहा है.
इसमें AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर उनकी आवाज और वीडियो क्लोन कर, मर्चेंडाइज भी बनाई जा रही है. ये सभी कंटेंट सोशल मीडिया पर व्यूज और क्लिक के आधार पर कंपनी के लिए आमदनी का साधन बन रही हैं. फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को करेगा.
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