केरल में सबरीमाला अयप्पा मंदिर में सोने की चोरी का मामला अब एक बड़े राजनीतिक और धार्मिक विवाद का रूप ले चुका है. यह विवाद द्वारपालक मूर्तियों पर सोने की परत चढ़ाने में कथित अनियमितताओं के आरोपों से जुड़ा है.
यह पूरा मामला शुरुआत में सोने की गुमशुदगी की सतर्कता जांच तक ही सीमित था. अब इसने कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग, राज्य विधानसभा में भारी विरोध प्रदर्शन और त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB), राज्य सरकार और विपक्ष के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप को जन्म दे दिया है.
इस बीच केरल हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए एक विशेष जांच दल (SIT) से जांच के आदेश दिए हैं. अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच में उद्योगपति विजय माल्या की ओर से मंदिर को दान किया गया 30.3 किलोग्राम सोना कैसे और कहां गायब हुआ और यह सामने आएगा या नहीं. इसके साथ ही इस कथित घोटाले के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा, यह भी जांच का अहम बिंदु होगा. इसे राज्य के इतिहास में मंदिर प्रबंधन से जुड़ा सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है.
क्या है पूरा विवाद?
सबरीमाला अयप्पा मंदिर में सोने की चोरी का यह विवाद 30.3 किलोग्राम सोना और 1,900 किलोग्राम तांबे से जुड़ा है, जिसे साल 1998 में उद्योगपति विजय माल्या ने मंदिर के गर्भगृह और लकड़ी की नक्काशी के लिए दान किया था. केरल हाई कोर्ट की एक समीक्षा के दौरान खुलासा हुआ कि सोने की परतों का वजन समय के साथ काफी कम हो गया है. इससे इसमें चोरी और भ्रष्टाचार की आशंका गहराने लगी, जो त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े करता है.
मुद्दे पर त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड ने दिया बयान
TDB के अध्यक्ष पी. एस. प्रशांत ने कहा कि बोर्ड की सतर्कता इकाई ने 9 अधिकारियों की लापरवाही पाई है और इनमें से एक अधिकारी, डिप्टी देवस्वोम कमिश्नर बी. मुरारी बाबू के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है.
TDB अध्यक्ष प्रशांत ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘विजिलेंस ने 9 अधिकारियों की ओर से लापरवाही की पहचान की है. हमने बाबू के खिलाफ कार्रवाई कर दी है. बाकी अधिकारियों पर कार्रवाई का निर्णय 14 अक्टूबर, 2025 को होने वाली बोर्ड बैठक में लिया जाएगा.’
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