E-Commerce Dark Pattern: सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों के कैश-ऑन-डिलीवरी (CoD) ऑर्डर्स पर एक्स्ट्रा चार्ज वसूलने की जांच शुरू कर दी है. इसकी घोषणा केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को की. एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने बताया कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को शिकायतें मिली हैं कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स अलग-अलग कैटेगरीज के तहत हिडेन या मिसलीडिंग चार्जेस वसूल रही हैं जैसे कि ऑफर हैंडलिंग फीस, पेमेंट हैंडलिंग फीस और प्रोटेक्ट प्रॉमिस फीस वगैरह. ग्राहकों का कहना है कि उन्हें इन चार्जेस की जानकारी भी नहीं होती और इनका पता अक्सर चेकआउट के समय में लगता है.
The Department of Consumer Affairs has received complaints against e-commerce platforms charging extra for Cash-on-Delivery, a practice classified as a dark pattern that misleads and exploits consumers.
A detailed investigation has been initiated and steps are being taken to… https://t.co/gEf5WClXJX
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) October 3, 2025
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर डार्क पैटर्न का बोलबाला
अपने पोस्ट में उन्होंने कहा, उपभोक्ता मामलों के विभाग को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा कैश-ऑन-डिलीवरी के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूलने की शिकायतें मिली हैं. इसे डार्क पैटर्न के नाम से जाना जाता है, जो उपभोक्ताओं को गुमराह करता है और उनका शोषण करता है. इस पर एक डिटेल्ड जांच शुरू की गई है. इन प्लेटफॉर्म्स की बारीकी से जांच के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. भारत में बढ़ते ई-कॉमर्स सेक्टर में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और निष्पक्ष व्यवहार को बनाए रखने के लिए उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
डार्क पैटर्न क्या है?
डार्क पैटर्न एक ऐसा तरीका है, जिसे ऑनलाइन साइट्स पर ग्राहकों को बरगलाने या उन पर दबाव डालने के लिए डिजाइन किया गया है. इसके जरिए जानबूझकर कंज्यूमर को गुमराह करने की कोशिश की जाती है. डार्क पैटर्न में छिपी हुई कीमतें चेकआउट के वक्त नजर आती है. यह एक ऐसी स्ट्रैटेजी है, जिसमें ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त कार्ट में चुपचाप से कोई अलग आइटम जोड़ दिया जाता है. कई बार एक्सेप्ट बटन को तो ब्राइट कलर में दिखाया जाता है और रिजेक्ट के ऑप्शन को या तो छिपा दिया जाता है या छोटा कर दिया जाता है. इस पर से कुकीज के जरिए सब्सक्रिप्शन लेने के लिए मजबूर किया जाता है. इसके अलावा, ‘only one item left’ या ‘limited-time offers’ जैसे ऑप्शंस के जरिए भी ग्राहकों को झांसे में लिया जाता है, जिससे आखिरकार कंपनी को फायदा पहुंचता है.
ये भी पढ़ें:
LensKart का रास्ता साफ! सेबी ने दे दी IPO लाने की मंजूरी, 2150 करोड़ जुटाएगी कंपनी
Leave a Reply