Indian Economy Growth: इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने भारत को ग्लोबल इकोनॉमी का प्रमुख ग्रोथ इंजन बताया. उनका यह बयान एक ऐसे समय पर आया है जब दुनिया के तमाम देश 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगाए गए टैरिफ का सामना कर रहे हैं. वॉशिंगटन में अगले हफ्ते होने वाली IMF और वर्ल्ड बैंक की एनुअल मीटिंग से पहले जॉर्जीवा ने कहा, ग्लोबल ग्रोथ के पैटर्न पिछले कुछ सालों से बदल रहे हैं. इस दौरान चीन के विकास दर में गिरावट आई है, जबकि भारत एक प्रमुख विकास इंजन के रूप में उभर रहा है.
ग्लोबल इकोनॉमी का बेहतर प्रदर्शन
मिल्केन इंस्टीट्यूट में बोलते हुए जॉर्जीवा ने कहा कि जितना डर था उसके मुकाँबले ग्लोबल इकोनॉमी अच्छा परफॉर्म कर रही है, लेकिन जितनी हमें जरूरत है उसके मुकाबले यह खराब है. अमेरिका और भारत जैसी उभरती दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन के चलते इस साल और अगले साल ग्रोट रेट बहुत ज्यादा सुस्त नहीं होगा. जॉर्जीवा ने कई देशों की बनाई गई बेहतर मौद्रिक नीति, प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों की फ्लेक्सिबिलिटी और टैरिफ के सीमित असर का हवाला देते हुए कहा, ये सारी चीजें एक ऐसी ग्लोबल इकोनॉमी की ओर इशारा कर रहे हैं, जिसने आम तौर पर कई झटकों के गंभीर दबावों को झेल रखा है.
The global economy has proven resilient, performing better than many feared but still falling short. We must do more. Let’s work together to renew opportunities, repair public finances, & reduce global imbalances. The next generation is counting on us.
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— Kristalina Georgieva (@KGeorgieva) October 8, 2025
टैरिफ के दबाव के बीच संभली इकोनॉमी
सारी चीजें एक ऐसी ग्लोबल इकोनॉमी की ओर इशारा कर रहे हैं, जिसने आम तौर पर कई झटकों के गंभीर दबावों को झेल रखा है. अब तक दुनिया के तमाम देश ट्रेड वॉर में जैसे के साथ तैसा करने से बचे हुए हैं. IMF चीफ का बयान एक ऐसे समय पर आया है, जब अमेरिका ने भारतीय सामानों के आयात पर 50 परसेंट टैरिफ लगाने का फैसला लिया है. इससे वैश्विक अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है.
50 परसेंट टैरिफ में से 25 परसेंट रूस से तेल की खरीद को लेकर लगाई गई पेनाल्टी है. जॉर्जीवा का कहना है कि भले ही जितना सोचा गया था, टैरिफ के उतने गंभीर परिणाम सामने नहीं आए हैं, लेकिन इसका पूरा असर अभी सामने आना बाकी है. इस साल ग्लोबल इकोनॉमी ग्रोथ रेट 3 परसेंट तक रहने का अनुमान है.
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