Dollar vs Rupee: भारतीय रुपया लगातार गिरावट के दौर से गुजर रहा है और अब यह अपने ऐतिहासिक निचले स्तर के करीब कारोबार कर रहा है. हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन, मंगलवार (14 अक्टूबर) को शुरुआती सत्र में ही रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 9 पैसे कमजोर होकर 88.77 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और विदेशी पूंजी की निकासी ने रुपये पर दबाव बढ़ा दिया है.
रुपये में क्यों गिरावट?
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर जोखिम से बचने की प्रवृत्ति (Risk-Off Sentiment) और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को लेकर बनी उम्मीदों का धूमिल होना रुपये की कमजोरी की प्रमुख वजह है. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 88.73 प्रति डॉलर पर खुला और थोड़ी ही देर में 88.77 प्रति डॉलर तक लुढ़क गया, जो पिछले बंद भाव (88.68) से 9 पैसे की गिरावट को दर्शाता है.
मिराए एसेट शेयरखान के मुद्रा और जिंस अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी के अनुसार, अमेरिका में वित्तपोषण की समस्याओं के कारण कुछ सरकारी विभागों के बंद होने (शटडाउन) और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती संभावनाएं रुपये को कुछ समर्थन दे सकती हैं. हालांकि, अमेरिका-चीन के बीच नए टैरिफ वॉर और वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति रुपये की मजबूती पर रोक लगा सकती है.
शेयर बाजार में तेजी
रुपये की कमजोरी के बावजूद घरेलू शेयर बाजारों में शुरुआती कारोबार में तेजी देखी गई. बीएसई सेंसेक्स 246.32 अंक की बढ़त के साथ 82,573.37 अंक पर पहुंच गया, जबकि एनएसई निफ्टी 50 83 अंक चढ़कर 25,310.35 अंक पर खुला.
इस बीच, डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाता है, 0.07 प्रतिशत गिरकर 99.19 पर आ गया. वहीं, अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड ऑयल 0.36 प्रतिशत की बढ़त के साथ 63.55 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) सोमवार को बिकवाल रहे. उन्होंने शुद्ध रूप से 240.10 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे रुपये पर और दबाव बढ़ा.
Leave a Reply