नई दिल्ली. फिल्मों में नजर आने वाले एक्टर-एक्ट्रेस और डायरेक्टर्स से लेकर राइटर्स तक का चर्चाएं खूब होती हैं. लेकिन कुछ ऐसे नाम भी होते हैं, जो फिल्मों को यादगार तो बना देते हैं. लेकिन, उनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं. आज हम एक ऐसे ही कलाकार के बारे में बात करेंगे, जिनको ‘बॉलीवुड का सीटीबाज’ कहा जाता है. एक दौर था, जब कहा सीटी बजाने वालों को ‘छिछोरा’ और ‘नालायक’ कहा जाता था. तब इस कलाकार ने बॉलीवुड में खास पहचान बनाई, लेकिन सिर्फ इंडस्ट्री में. आम लोगों के बीच में उनकी पहचान चंद लोगों के बीच में ही हो सकी. क्या आप पहचाने? नहीं न तो चलिए बताते हैं…
आज भी नहीं है उनकी सीटी का तोड़
पहले के दौर में म्यूजिक डायरेक्टर के नीचे क म्यूजिक अरेंजर काम किया करता था, जो पूरा म्यूजिक बनाता था. लेकिन अब समय बदल गया है. आज इंस्ट्रूमेंट का साउड कंप्यूटर सिस्टम की मदद से अरेंज किया जा सकता है. सिवाय एक इंस्ट्रूमेंट के वो है विसल यानी सीटी. आपने बॉलीवुड के कई गानों में सीटी की आवाज सुनी होगी, जैसे सो गया ये जहां, ये दिल क्या करे, इलू-इलू, दिल तो पागल है, फना, कुछ कुछ होता है, मुन्नाभाई सीरीज, सौदागर, बर्फी जैसे हिट फिल्मों में भी उनकी सीटी ने चार चांद लगाए. अपनी सीटी से ज्यादा गीतों को अमर करने वाले वो हैं नागेश सुर्वे.

नागेश सुर्वे ने 1600 से ज्यादा गानों में सीटी बजाई है.
कैसे मिला नागेश नाम
जब किशोर कुमार ने कहा- तुम्हारी आवाज मेरे गानों की तरह यूनिक है
नागेश ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उनकी आवाज से मशहूर सिंगर किशोर कुमार इतना हैरान हो गए थे कि उन्होंने उन्हें कहा-‘तुम्हारी आवाज मेरे गानों की तरह यूनिक है, इसे बना के रखना’. नागेश के बचपन के दोस्त रहे प्यारेलाल, जिन्हें हम लक्ष्मीलाल-प्यारेलाल की जोड़ी से जानते हैं. उनका बचपन एक संगीतमय माहौल के बीच गुजरा था. प्यारेलाल के पिताजी से उन्होंने वायलिन बजाना सीखा और बड़े होने के पास उन्होंने म्यूजिक डायरेक्टर्स के पास वायलिन बजाने का काम शुरू किया.
कैसे मिला फिल्मों में काम
अनुपम खेर जब बोले- मुझे अपना शागिर्द बना लीजिए
एक इंटरव्यू के दौरान नागेश ने बताया था कि जब वह ‘इलू-इलू’ गानें बजी सीटी को अनुपम खेर में पहले बार सुना तो उन्हें ये यकीन ही नहीं हुआ कि ये सीटी किसी इंसान ने बजाई है. जब अनुपर खेर को यकीन हुआ तो उन्होंने नागेश से कहा मुझे अपना शागिर्द बना लीजिए.

नागेश सुर्वे की बेटी अब उनकी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. फोटो साभार-@rupalisurve_whistlewoman/Instagram
म्यूजिक डायरेक्टर बन जब बदला नाम
30 फिल्मों में दिया म्यूजिक पर नहीं मिला क्रेडिट
उन्होंने बॉलीवुड की करीब 30 फिल्मों में म्यूजिक भी दिया, जिसका क्रेडिट उन्हें कभी नहीं मिला. दरअसल, 90 के दशक में और उससे पहले फिल्म इंजस्ट्री में बैकग्राउंड स्कोर जैसा डिपार्टमेंट नहीं था. म्यूजिक डायरेक्टर ही फिल्म में बीजेएम देता था और अलग से बीजेएम का नाम भी क्रेडिट में नहीं आता था. ‘तेजाब’, ‘राम अवतार, ‘प्यार का मंदिर’, चरणों की सौगंध जैसी फिल्मों का उन्होंने बीजेएम बनाया लेकिन सिवाय पैसे के न नाम मिला न ही कोई अवॉर्ड.
आज भी गुमनाम है सितारा, बेटी बढ़ा रही विरासत
फिल्मों में छिपे हुए ऐसे-ऐसे आर्टिस्ट होते हैं, जिनके बारे में पहले कोई जान नहीं पाता था. हालांकि, आज के दौर में तो सेट पर चाय पिलाने वाले बंदे का नाम भी क्रडिट्स में आता है. लेकिन ये उनका बंदकिस्मती ही है कि इतना काम करने के बाद भी उन्हें मट्ठीभर लोग ही जानते हैं. अब उनकी बेटी रूपाली अपनी पिता की इस नायाब विरासत को आगे बढ़ा रही हैं.
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