बॉलीवुड ने ठुकराया तो जिंगल्स बनाकर किया गुजारा, 1 एल्बम ने बना दिया ‘गजल सम्राट’

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जब भी गजल की बात होती है, एक नाम अनायास ही जुबान पर आता है, वो है जगजीत सिंह. राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्मे इस महान गायक ने अपनी मखमली आवाज और भावनाओं की गहराई से गजल को न केवल एक नया मुकाम दिया, बल्कि इसे हर दिल तक पहुंचाया. ‘गजल किंग’ के तौर पर मशहूर जगजीत सिंह ने संगीत की दुनिया में ऐसी छाप छोड़ी, जो समय की सीमाओं को पार कर आज भी उतनी ही ताजा है.

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बॉलीवुड ने ठुकराया तो जिंगल्स बनाकर किया गुजारा, 1 एल्बम ने बनाया गजल सम्राटगायक के आगे बॉलीवुड को झुकना पड़ा था. (AI द्वारा जनरेटेड इमेज)

नई दिल्ली: जगजीत सिंह का सफर शुरू हुआ राजस्थान की मिट्टी से, जहां संगीत उनके लिए सिर्फ शौक नहीं, बल्कि आत्मा की आवाज थी. कम उम्र में ही उन्होंने शास्त्रीय संगीत की तालीम ली और जल्द ही उनकी प्रतिभा ने मुंबई की चकाचौंध तक पहुंचा दिया. 1970 के दशक में जब गजल को एक खास वर्ग का संगीत माना जाता था, जगजीत और उनकी पत्नी चित्रा सिंह ने इसे आम जनमानस की जुबान बना दिया. उनकी जोड़ी ने ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ जैसे एल्बम के साथ गजल को नई पहचान दी, जिसमें ‘बात निकलेगी तो’ और ‘रात भी नींद भी’ जैसे गीतों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.

जगजीत सिंह की खासियत थी उनकी सादगी और गीतों में छिपी गहरी भावनाएं. चाहे प्रेम का उत्सव हो, जुदाई का दर्द हो या जिंदगी की नश्वरता का अहसास, उनके गीत हर रंग को बखूबी बयां करते थे. ‘तुमको देखा तो ये खयाल आया’ से लेकर ‘चिठ्ठी न कोई संदेश’ और ‘होश वालों को खबर क्या’ तक, हर गीत एक कहानी कहती थी. हिंदी सिनेमा में भी उनकी आवाज ने जादू बिखेरा. उनकी गजलें कई फिल्मों को यादगार बनाती दिखीं. 10 अक्टूबर 2011 को जगजीत सिंह ने इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन उनकी गजलें आज भी हर दिल में जिंदा हैं.

झुकने को मजबूर हुआ बॉलीवुड
बहुत कम लोग जानते हैं कि जगजीत सिंह गजल की तरफ रुख बॉलीवुड में रिजेक्ट होने के बाद किया था. इस किस्से का जिक्र लेखिका सत्या सरन की किताब ‘बात निकलेगी तो फिर’ में किया गया है. इसमें लेखिका सत्या सरन बताती हैं कि कैसे फिल्म इंडस्ट्री से रिजेक्शन ने उन्हें एक ऐसा समानांतर संगीत साम्राज्य खड़ा करने को प्रेरित किया, जिसने बॉलीवुड को ही झुकने पर मजबूर कर दिया. यह किस्सा 1960 के दशक के अंतिम सालों का है, जब जगजीत सिंह, जो जालंधर से मुंबई पहुंचे थे, खुद को फिल्मी संगीत की दुनिया में स्थापित करने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे. जगजीत सिंह की आवाज, जो गजल के गहरे भावों को व्यक्त करने के लिए एकदम सही थी, उस दौर के फिल्मी संगीत के लोकप्रिय मानकों पर खरी नहीं उतरी.

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जगजीत सिंह ने गजल को जन-जन तक मशहूर बनाया.

जिंगल्स बनाकर किया गुजारा
बड़े संगीत निर्देशकों ने जगजीत की आवाज को अक्सर ‘बहुत भारी’ या फिल्मी गानों के लिए ‘बहुत गंभीर’ बताकर खारिज कर दिया. उनका सपना एक प्लेबैक सिंगर बनने का था, लेकिन उन्हें लगातार निराशा मिल रही थी. बॉलीवुड से लगातार इनकार मिलने के बाद, जगजीत सिंह को मुंबई में गुजारा करने के लिए रचनात्मक तरीके तलाशने पड़े. उन्होंने और उनकी पत्नी चित्रा सिंह ने मिलकर विज्ञापन जिंगल्स बनाना शुरू कर दिया. ये जिंगल्स ही उनके स्ट्रगल के दिनों में उनकी आय का अहम जरिया बने.

एलबम ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ से छा गए जगजीत सिंह
बॉलीवुड के बायकॉट को जगजीत सिंह ने अपनी कला की दिशा बदलने का अवसर बना लिया. उन्होंने तय किया कि अगर फिल्म इंडस्ट्री उन्हें जगह नहीं देगी, तो वह अपनी गजलों को आम जनता के बीच ले जाएंगे. उन्होंने और चित्रा सिंह ने गजल को शास्त्रीय और कठिन सीमाओं से निकालकर, सरल धुनें दीं और उसमें वेस्टर्न वाद्य यंत्रों का उपयोग किया. इसके बाद 1976 में आए एलबम ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ इतनी बड़ी कमर्शियल सक्सेस साबित हुई कि यह भारत में गजल के इतिहास में एक ‘मील का पत्थर’ बन गई. इसके बाद जगजीत सिंह ने बॉलीवुड के दरवाजों पर दस्तक देना छोड़ दिया और जब वह ‘गजल सम्राट’ बन चुके थे, तभी फिल्म जगत ने उन्हें न केवल स्वीकार किया, बल्कि उनकी शैली को सम्मान दिया.

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Abhishek Nagar

अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल…और पढ़ें

अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल… और पढ़ें

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