16 साल के इशिर वाधवा ने स्कूल प्रोजेक्ट को बनाया बिजनेस, अब इस तरह परिवार करेगा मोटी कमाई!-Sixteen-year-old Ishir Wadhwa Dubai resident student GEMS World Academy his family to Turn Class 10 School Project into Family Business

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Class 10 student Ishir Wadhwa Story: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) दुबई में रहने वाले एक भारतीय किशोर ने अपने स्कूल में बनाए गए प्रोजेक्ट को फैमिली बिजनेस में बदल दिया है.

16 साल के बच्चे ने स्कूल प्रोजेक्ट को बनाया बिजनेस,अब इस तरह परिवार करेगा कमाई

16 साल के किशोर ने अपनी फैमिली के लिए पैदा किया कमाई का खास जरिया

नई दिल्ली: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) दुबई में रहने वाले एक भारतीय किशोर ने अपने स्कूल में बनाए गए प्रोजेक्ट को फैमिलि बिजनेस में बदल दिया है. 16 साल के इस भारतीय बच्चे ने एक ऐसी टेक्नोलॉजी खोजी है, जिसके जरिए दीवार में छेद किए बिना ही आप भारी से भारी सामान लटका सकते हैं. इस किशोर का नाम इशिर वाधवा है जो GEMS World Academy के स्टूडेंट हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि किशोर के पिता को भी ये टेक्नोलॉजी देखकर काफी हैरानी हुई.खलीज टाइम की एक रिपोर्ट के अनुसार इशिर वधावा को एक इनोवेटिव प्रोजेक्ट सबमिट करना था, जो ग्रेड 10 कोर्स के लिए था. रोजमर्रा की जिन्दगी में सामान टांगने कीलों के इस्तेमाल से दीवार में होने वाले नुकसान को देखकर उसने उपाय खोजा. कील और स्क्रू आदिकाल से इस्तेमाल होते आ रहे हैं और इनसे दीवारों को भी नुकसान होता है.

भाई की मदद से की ये खोज
अमेरिका में इंजीनियरिंग करने वाले बड़े भाई अविक की मदद इशिर ने ली और इसका उपाय खोजा, इशिर इस बारे में बताते हैं कि जब हमने अपने दिमागों को एक साथ रखा, तो समाधान, सभी बड़े आइडिया सुरुचिपूर्ण तरीके से काफी साधारण थे.

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इशिर वाधवा और उनका परिवार (Photo Source: News18)

इस आइडिए से किया इनोवेशन
इन दोनों का आइडिया यही था कि एक चुम्बक और दो स्टील प्लेट को एक साथ रखना. स्टील की एक पट्टी दिवार से चिकपी होती है, जिसे अल्फ़ा टेप नाम दिया गया. नियोडिमियम चुंबक इसे एक साथ जोड़े रखता है, जिसमें ऑब्जेक्ट को माउंट किया जाता है. दो चुम्बक एक साथ आकर क्लैप की आवाज देता है इसलिए परिवार ने इसे क्लैपइट नाम दिया.

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गेम चेंजर बनेगा ये इनोवेशन
खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इशिर के पिता ने आविष्कार को जीवन में एक गेम चेंजर मानते हुए भारी सैलरी वाली नौकरी को छोड़ दिया. इशिर के पिता सुमेश वाधवा ने नौकरी छोड़ बेटे के बनाए उत्पाद को व्यवसाय के रूप में अपनाने का फैसला लिया है. किसी ने नहीं सोचा होगा कि इस सोलह वर्षीय किशोर का स्कूल प्रोजेक्ट इस तरह से एक कारगार प्रोडक्ट के रूप में सामने आएगा और परिवार इसे बिजनेस के रूप में अपनाएगा.

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