Last Updated:
दोस्ती पर एक से बढ़कर एक फिल्में बनी हैं. लेकिन हमें सिर्फ शोले के जय-वीरू ही याद आते हैं. उनकी दोस्ती की मिसालें दी जाती हैं. साल 1975 में आई ‘शोले’ में धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन वीरू और जय का किरदार निभाया था. दोस्ती पर बनी ये बेस्ट फिल्म मानी जाती है. लेकिन इससे सालों पहले दोस्ती पर बनी एक ब्लॉकबस्टर फिल्म आई थी.

अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की ‘शोले’ से तकरीबन 18 साल पहले एक और फिल्म आई थी, जिसके सेंटर में दोस्ती और प्यार था. फिल्म ब्लॉकबस्टर हुई थी. आज एक कल्ट फिल्म मानी जाती है. इसके गानों पर आज भी लोग झूमते हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि यह फिल्म ‘दोस्ती’ है, तो आप गलत सोच रहे हैं. (फोटो साभारः आईएमडीबी)

‘दोस्ती’ साल 1965 में रिलीज हुई थी. राजश्री प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म में दो दोस्त- रामू और मोहन की कहानी दिखाई गई थी. एक दोस्त अपाहिज था और दूसरा देख नहीं सकता था. फिल्म की कहानी को इतना पसंद किया गया कि इसके गाने आज भी खूब सुने जाते हैं. लेकिन हम इस फिल्म की भी बात नहीं कर रहे हैं. (फोटो साभारः आईएमडीबी)

‘जय वीरू’ और रामू-मोहन की दोस्ती से भी पहले एक और दोस्ती काफी पॉपुलर हुई थी. यह दोस्ती थी-शंकर और कृष्णा की, जो 1957 में आई फिल्म नया दौर में दिखी थी. शंकर का किरदार दिलीप कुमार ने तो कृष्णा के रोल में अजीत थे. (फोटो साभारः आईएमडीबी)

फिल्म में वैजयंती माला लीड एक्ट्रेस थीं. यह उस साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, इस फिल्म को बनाने में मेकर्स का 14 लाख रुपए का बजट बना था. (फोटो साभारः आईएमडीबी)

बॉक्स ऑफिस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिलीप कुमार की इस ब्लॉकबस्टर ने कुल 5 करोड़ 40 लाख रुपए का ग्रॉस कलेक्शन किया था. इस साल सबसे ज्यादा कलेक्शन (8 करोड़ रुपए) ‘मदर इंडिया ‘ने किया था. (फोटो साभारः आईएमडीबी)

‘नया दौर’ को बी.आर चोपड़ा ने डायरेक्ट किया था. फिल्म की कहानी गांव को शहरीकरण से होने वाले नुकसान पर बेस्ड किया गया था. इसके साथ ही फिल्म दोस्ती, प्यार और लव ट्राएंगल का भी खूबसूरती के साथ जोड़ा गया था. (फोटो साभारः आईएमडीबी)

‘नया दौर’ की कहानी तांगे वाले शंकर और उसके किसान दोस्त कृष्णा पर भी फोकस थी. कृष्णा और शंकर जिगरी दोस्त होते हैं. पूरे गांव में दोनों की दोस्ती की मिसालें दी जाती हैं. लेकिन वैजयंतीमाला के किरदार रजनी के आने से दोनों की दोस्ती में दरार आती है. (फोटो साभारः आईएमडीबी)

कृष्णा और शंकर दोनों ही रजनी से प्यार करते हैं, लेकिन रजनी शंकर से प्यार करती है. शंकर, रजनी की वजह से दोस्त को दुश्मन बना लेता है. कृष्णा, गांव में गाड़ी लाने की वाले कुंदन (जीवन) से हाथ मिलता है. तांगे और गाड़ी की रेस होती है, तब तक कृष्णा को अपनी गलती का अहसास होता है और वह शंकर की मदद करता है. शंकर रेस जीतता है और दोनों फिर से अच्छे दोस्त बन जाते हैं. (फोटो साभारः प्राइम वीडियो)
Leave a Reply