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कभी 20 बॉक्स के साथ शुरू किया गया मधुमक्खी पालन आज 100 बॉक्स तक जा पहुंचा है. पढ़िए मुजफ्फरपुर के अजय कुमार की सक्सेस स्टोरी, जो बेगूसराय में रहकर शहद उत्पादन कर हर सीजन 3 लाख तक की कमाई कर रहे हैं.

परंपरागत खेती से किसानों को कम मुनाफा मिलती है. कृषि के क्षेत्र में रोज नए नए आविष्कार हो रहे हैं. लेकिन बात वैज्ञानिकों के प्रयोगशाला तक ही सीमित होते हैं. नए नए अविष्कारों का फायदा किसान नहीं उठा पाते हैं. आज हम एक ऐसे लड़का की कहानी बता रहे हैं जिसकी शैक्षणिक योग्यता तो महज पांचवी पास है. लेकिन किसानी पशुपालन में अपने मेहनत की बदौलत एक अलग ही पहचान स्थापित कर चुके हैं.

बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले अजय पिछले 10 साल से बेगूसराय इलाके में मधुमक्खी पालन कर खुद की क़िस्मत लिख रहे हैं. अजय कुमार ने लोकल 18 बिहार से बताया आज से दस साल पहले पढ़ाई छोड़ने के बाद भाई के द्वारा मधु का उत्पादन काम किया जा रहा था , इसी से सीखकर 20 बॉक्स जिसकी कीमत 40 हज़ार के आसपास होगी. इसे लेकर मधु उत्पादन का कार्य शुरु किया था.

धीरे धीरे मधुमक्खी पालन के दौरान मधुमक्खी की संख्या बढ़ते गई और आज 10 साल बाद 100 बॉक्स पर पहुंच गया. ऐसे में मेरे पास 3 लाख से ज्यादा का मधुमक्खी पालन कार्य हो गया है. अब अगर रिस्क की बात हो तो काफ़ी ज्यादा होती है. रोज मधुमक्खी के काटने से शरीर का कोई न कोई अंग फूला ही रहता है.

मधुमक्खी को एक शहर से दूसरे शहर ले जानें के क्रम में अगर गाड़ी दो दिनों तक जाम में फस गई तो सीधे 1 लाख से ज्यादा का नुकसान हो जाता है. इसे पालने के लिए रोज चीनी देना होता है नहीं भोजन देने पर मधुमक्खी मर जाती है. इतना रिस्क रहता है. अजय ने आगे बताया एक बॉक्स में एक रानी मधुमक्खी होती है. जो शहद को तैयार बॉक्स में करने में अपनी भूमिका निभाई है. एक बॉक्स से रोजाना 0.5 से 1 किलो तक शहद निकल आता है. ऐसे में एक बॉक्स से 200 रूपए तक आमदनी होती है.

बिक्री की बात करें तो बड़े कंपनी वाले ले जाते हैं. इसका टेंशन नहीं रहता है. लेकिन हम लोग हिसाब एक सीजन का देखें तो तीन महीने के एक सीजन में 100 बॉक्स से 2 से 3 लाख तक का उत्पादन हो जाती है. लेकिन मुझे आजतक शहद उत्पादन को लेकर संचालित सरकारी सहायता नहीं मिल पाई.
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