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JK Bihari Untold Story: जेके बिहारी ने अपने करियर में सिर्फ दो फिल्में निर्देशित कीं, जिनमें से एक थी ‘बीवी हो तो ऐसी’. यही वो फिल्म थी जिसमें पहली बार सलमान खान बड़े पर्दे पर नजर आए थे यानी वो जेके बिहारी ही थे जिन्होंने सलमान को पहला मौका दिया था. आज हम आपको जेके बिहारी के बारे में कुछ ऐसे तथ्य बताने जा रहे हैं जो आपको हैरान कर देंगे.

नई दिल्ली. जेके बिहारी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘बीवी हो तो ऐसी’ साल 1998 में रिलीज हुई थी. रिलीज होते ही यह फिल्म सिनेमाघरों में छा गई थी. लोगों को यह फिल्म बेहद पसंद आई थी. यह फिल्म भले ही सलमान खान की पहली बॉलीवुड फिल्म थी, लेकिन उन्होंने कभी भी इस फिल्म को अपनी पहली फिल्म नहीं माना.

सलमान हमेशा यही कहते आए हैं कि ‘मैंने प्यार किया’ ही उनकी डेब्यू फिल्म है. अब आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों? तो मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वह इस फिल्म में एक को-स्टार की भूमिका में नजर आए थे और दूसरी बात उन्होंने इस फिल्म में दिल से काम नहीं किया था. एक बार उन्होंने ये भी कहा था कि वह मना रहे थे कि उनकी ये फिल्म फ्लॉप हो जाए.

लेकिन, सलमान को यह फिल्म तब मिली थी जब वह काम के लिए इधर-उधर घूमते फिर रहे थे. दरअसल, जेके बिहारी ने सिद्धार्थ कन्नन से खास बातचीत में बताया कि वह सलमान को स्टूडियो हमेशा आते-जाते देखते रहते थे और उन्होंने अपनी फिल्म ‘बीवी हो तो ऐसी’ में बिना किसी ऑडिशन के उन्हें काम दे दिया, जिसमें उन्होंने लीड एक्टर फारूक शेख के छोटे भाई का किरदार निभाया था.

जेके बिहारी ने ये भी बताया कि अगर उन्हें पता होता कि वह सलीम जावेद के बेटे हैं तो वह कभी भी सलमान खान को अपनी फिल्म में नहीं लेते. हालांकि, उन्होंने इसके पीछे की वजह भी बताई. उन्होंने बताया कि अगर मुझे पहले ये पता होता कि सलमान सलीम के बेटे हैं, तो मैं उन्हें ऐसी रोल कभी नहीं देता.

सलीम जावेद इतने बड़े राइटर थे और उनके बेटे को इतनी छोटी सी भूमिका मैं कैसे देता. सलमान ने भी कभी उन्हें ये नहीं बताया कि वह सलीम खान के बेटे हैं. बता दें, ‘बीवी हो तो ऐसी’ में फारूक शेख के साथ रेखा लीड एक्ट्रेस की भूमिका में नजर आई थीं.

फिल्म में बिंदु भी अहम भूमिका में थीं. वहीं, फिल्म में संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था. इस फिल्म से सलमान खान के साथ-साथ रेणु आर्या ने फिल्मों में अपनी शुरुआत की थी. सिद्धार्थ कन्नन के साथ इंटरव्यू में जेके बिहारी ने भी बताया कि वह अनपढ़ थे और डायरेक्टर बनने तक का सफर उनके लिए आसान नहीं था.

उन्होंने बताया कि वह मुंबई के होटलों में बर्तन धोया करते थे और फिर एक बार उन्होंने कमाल अमरोही के स्टूडियो के कैंटिन में काम करने का मौका मिला. फिर वहां काम करते-करते वह कैंटिन के मैनेजर बन गए, जहां दिग्गज फिल्म निर्देशक के आसिफ के लोग वहां खाना खाने आते थे.

फिर देखते ही देखते उनकी मुलाकात के आसिफ से हुई और वह उनके साथ डायरेक्शन में काम करने लगे और धीरे-धीरे फिल्म से जुड़े लोगों के साथ उनकी दोस्ती होने लगी.
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