मीना कुमारी का वो हीरो, जिसने दी थी पहली ब्लॉकबस्टर, 32 साल बाद अभिताभ बच्चन-धर्मेंद्र ने तोड़ा था उनका रिकॉर्ड

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Ashok Kumar Birth Anniversary: अशोक कुमार हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार के तौर पर जाने जाते थे. उनका जन्म 13 अक्टूबर 1911 को भागलपुर में हुआ था. मीना कुमारी के साथ वह ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर ‘पाकिजा’ में नजर आए थे.

नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता अशोक कुमार का एक्टिंग में कोई सानी नहीं था. उनके निभाए कई रोल है जो अमर हो गए. मीना कुमारी के साथ तो उनकी जोड़ी काफी पसंद की जाती थी. वह उनकी डेब्यू फिल्म का रिकॉर्ड कोई 32 साल तक नहीं तोड़ पाया था.

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आज भले ही वह इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके निभाए किरदार आज भी लोगों के जहन में बसे हैं. उन्होंने उस दौर में नेगेटिव रोल निभाकर तहलका मचाया था, जब हीरो नेगेटिव रोल से दूर रहा करते थे.

बॉलीवुड के इतिहास में अशोक कुमार का नाम हमेशा सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. वह सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने हिंदी सिनेमा को नई दिशा दी. बहुत कम लोग जानते हैं कि फिल्मों में उनके सफर की शुरुआत किसी ग्लैमर या बड़े सपने से नहीं हुई थी, बल्कि उनकी पहली नौकरी बॉम्बे टॉकीज में एक लैब असिस्टेंट के तौर पर थी.

इस नौकरी से अचानक ही वह फिल्मों के हीरो बन गए और लोगों के दिलों पर छा गए.उनका असली नाम कुमुदलाल गांगुली था. उनके पिता कुंजीलाल गांगुली एक वकील थे. अशोक के मन में भी बचपन से वकील बनने का सपना था और उनके पिता ने भी उन्हें इसी राह पर चलने के लिए प्रेरित किया था. लेकिन पहली बार वकालत की परीक्षा में असफल होने के बाद, अशोक कुमार को लगा कि शायद यह उनका रास्ता नहीं है. इसके बाद वह खुद को साबित करने के लिए मुंबई आ गए.

साल 1936 में जब फिल्म ‘जीवन नैया’ की शूटिंग चल रही थी, उस वक्त फिल्म के लीड हीरो नजमुल हसन अचानक फिल्म छोड़कर चले गए. बॉम्बे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय ने तत्काल फैसला लिया कि अशोक कुमार को हीरो बनाया जाए. यह खबर सुनकर डायरेक्टर फ्रांज ऑस्टन को भी हैरानी हुई, क्योंकि उनका मानना था कि अशोक का लुक हीरो के लिए फिट नहीं था. बावजूद इसके, बॉम्बे टॉकीज ने अपना फैसला नहीं बदला और इस तरह अशोक कुमार ने पहली बार ‘जीवन नैया’ फिल्म में अभिनय किया.

इस फिल्म के दौरान उनका नाम कुमुदलाल गांगुली से बदलकर ‘अशोक कुमार’ रख दिया गया। यहीं से उनकी नई पहचान बनने लगी. ‘जीवन नैया’ सफल हुई और अशोक कुमार धीरे-धीरे हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बन गए. उनकी सादगी और सहज अभिनय ने लोगों का दिल जीत लिया. उन्होंने ‘अछूत कन्या’, ‘हावड़ा ब्रिज’, ‘किस्मत’, ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘बंदिनी’, ‘बंधन’, ‘झूला’ और ‘कंगन’ जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया.

साल 1943 में अशोक कुमार फिल्म ‘किस्मत’ में नजर आए थे. इसी फिल्म से उन्हें बड़ी पहचान मिली थी. फिल्म ने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया था जिसे 32 सालों तक कोई नहीं तोड़ पाया था. हालांकि 32 साल बाद अमिताभ-धर्मेंद्र की फिल्म ‘शोले’ ने इस फिल्म का रिकॉर्ड तोड़ा था.

बता दें कि साल 1943 में रिलीज हुई इस फिल्म में बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेता अशोक कुमार लीड रोल में नजर आए थे. अपनी जबरदस्त एक्टिंग से उन्होंने बॉक्स ऑफिस को हिलाकर रख दिया था. उस दौर में जब हीरो की छवि साफ सुथरी होती थी तब उन्होंने एंटी हीरो का किरदार निभाकर हीरो की इमेज को ही बदल दिया था.

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मीना कुमारी का वो हीरो, जिसने दी थी पहली ब्लॉकबस्टर, 32 साल बाद…



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