अब कैसे जाएं केदारनाथ?
केदारनाथ यात्रा के लिए फिलहाल सड़क और पैदल मार्ग ही सबसे सुरक्षित ऑप्शन है. चलिए जानते हैं क्या-क्या रास्ते अपनाए जा सकते हैं.
गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक की दूरी करीब 16-18 किलोमीटर है, जो पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरती है. यहां से पैदल यात्रा शुरू की जा सकती है. यह मार्ग पहले से ही कई श्रद्धालुओं के लिए मुख्य रास्ता रहा है. रास्ते में बेस कैंप, विश्राम स्थल और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी मौजूद हैं.
2. खच्चर और डोली सेवा
जो लोग पैदल चलने में असमर्थ हैं या बुजुर्ग हैं, उनके लिए खच्चर और डोली की सुविधा उपलब्ध होती है. इन सेवाओं का उपयोग कर श्रद्धालु आराम से मंदिर तक पहुंच सकते हैं. उत्तराखंड सरकार द्वारा इन सेवाओं का शुल्क तय किया गया है और रसीद के साथ ही बुकिंग की जाती है.

थोड़ी बहुत सहायता चाहिए हो, तो बांस की स्टिक या टूर गाइड्स के साथ यात्रा करना भी एक ऑप्शन हो सकता है. कुछ निजी टूर एजेंसियां अब इलेक्ट्रिक पालकी सेवा देने की भी शुरुआत कर चुकी हैं. इससे उन लोगों को फायदा होता है जो अधिक दूरी नहीं चल सकते.
यात्रा में क्या सावधानियां रखें?
1. स्वास्थ्य की जांच करवा लें
केदारनाथ यात्रा 11,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर होती है. यहां ऑक्सीजन की कमी और ठंड दोनों एक साथ परेशान कर सकते हैं. इसलिए यात्रा से पहले डॉक्टर से स्वास्थ्य जांच जरूर करवाएं, खासकर अगर आप दिल, शुगर या सांस की बीमारी से पीड़ित हैं.
यहां का मौसम पल-पल में बदलता है. सुबह धूप हो सकती है और दोपहर में बारिश. इसलिए जैकेट, रेनकोट, वाटरप्रूफ बैग और अच्छे ग्रिप वाले जूते साथ रखें.
3. दवाइयां और जरूरी सामान साथ रखें
पहाड़ी रास्तों में मेडिकल सुविधा सीमित होती है. अपनी जरूरत की सभी दवाइयां साथ रखें. ब्लिस्टर बैंडेज, पेन किलर, सर्दी-खांसी की दवा आदि जरूरी है. साथ ही टॉर्च, एनर्जी बार्स, पानी की बोतल और रेनकवर भी रखना अच्छा होता है.
उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर रखा है. बिना रजिस्ट्रेशन यात्रा करने नहीं दिया जाएगा. इसे ऑनलाइन या यात्रा पड़ावों पर कराया जा सकता है. यह रजिस्ट्रेशन आपात स्थिति में मददगार होता है.
5. समूह में यात्रा करें
खासकर बुजुर्ग या पहली बार यात्रा करने वाले लोग अकेले यात्रा न करें. समूह में जाने से सहारा मिलता है और इमरजेंसी में मदद भी मिल जाती है.
कई बार मौसम खराब होने पर रास्ते बंद कर दिए जाते हैं. ऐसे में धैर्य रखें और स्थानीय प्रशासन की बात मानें. अपनी सुरक्षा से बड़ा कुछ नहीं होता. यात्रा से पहले मौसम की जानकारी अवश्य लें और समय पर रुकने का निर्णय लें.
हेलिकॉप्टर सेवा पर फिर से विचार
हर साल हजारों यात्री हेलिकॉप्टर से केदारनाथ पहुंचते हैं, खासकर बुजुर्ग और अस्वस्थ लोग. लेकिन लगातार हो रही दुर्घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हमें सिर्फ सुविधाओं पर निर्भर रहना चाहिए? विशेषज्ञों का कहना है कि पर्वतीय उड़ानें हमेशा जोखिम भरी होती हैं और खराब मौसम में दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है.
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