
अहोई अष्टमी पर माता को मालपुए का भोग चढ़ाया जाता है क्योंकि यह एक पारंपरिक मीठा पकवान है जो देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बनाया जाता है, विशेष रूप से अहोई माता (मां पार्वती का अवतार) को. माना जाता है कि इस तरह के भोग से माता खुश होती हैं और संतान की रक्षा, सुख-समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं. यह पकवान घर पर बनाया जाता है और पूजा के बाद प्रसाद के रूप में सभी को बांटा जाता है.

अहोई अष्टमी पर माता को मालपुए का भोग चढ़ाया जाता है क्योंकि यह अहोई माता को प्रिय है, और यह भोग संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए चढ़ाया जाता है. धार्मिक रूप से, अहोई माता को मालपुए का भी भोग चढ़ाया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मालपुए उन्हें बहुत पसंद है.

अहोई अष्टमी पर मालपुए का भोग संतान की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना के लिए लगाया जाता है, क्योंकि यह गेहूं और सूजी जैसे पौष्टिक अनाजों से बनता है, जो जीवन में समृद्धि और सफलता का प्रतीक है. इसके अलावा, मालपुआ जैसी मीठी चीजें माता को प्रसन्न करती हैं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस भोग से अहोई माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

समृद्धि और सफलता का प्रतीक है मालपुए का भोग, क्योंकि मालपुए में इस्तेमाल होने वाले गेहूं और सूजी को मेहनत और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जिससे संतान के जीवन में सफलता के योग बनते हैं.

अहोई अष्टमी पर मालपुए का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह माता अहोई को विशेष प्रिय है. माता को मालपुए का भोग अर्पित करने से अहोई माता प्रसन्न होती हैं और संतान की रक्षा व कल्याण करती हैं.

मान्यता है कि अहोई अष्टमी पर अहोई माता को मालपुए का भोग लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है. यह भोग लगाने के अलावा, व्रत को पूरा करने में मदद करता है और परिवार के लिए शुभ माना जाता है. माता को मालपुए का भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में बच्चों को खिलाना भी शुभ माना जाता है.
Published at : 12 Oct 2025 05:25 PM (IST)
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