वाणिज्य मंत्रालय शुक्रवार को एक अहम बैठक करने जा रहा है। इस बैठक में ईरान-इस्राइल युद्ध के हालात और उसके भारत पर असर की समीक्षा की जाएगी। इस बैठक में हितधारक, शिपिंग लाइंस, निर्यातक, कंटेनर फर्म्स और अन्य विभागों के लोग शामिल होंगे। बैठक की अध्यक्षता वाणिज्य मंत्रालय के सचिव सुनील बर्थवाल करेंगे। बर्थवाल ने कहा कि भारत हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है।
Trending Videos
व्यापार पर होगा गहरा असर
निर्यातकों का कहना है कि ईरान और इस्राइल की लड़ाई अगर लंबी चलती है तो इससे दुनियाभर के व्यापार पर असर होगा और हवाई और समुद्री तरीके से सामान भेजने की लागत बढ़ जाएगी। आशंका है कि दोनों देशों के संघर्ष का असर समुद्री नौवहन पर भी होगा और होर्मुज जलडमरूमध्य और लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों की आवाजाही बाधित हो सकती है। भारत को दो तिहाई कच्चा तेल और आधा एलएनजी आयात होर्मुजत जलडमरूमध्य से ही होता है। युद्ध के चलते ईरान ने इसे बंद करने की धमकी दी है। होर्मुज जलडमरूमध्य कुछ जगहों पर सिर्फ 21 मील चौड़ा ही है और यहां से पूरी दुनिया के कुल तेल व्यापार का पांचवां हिस्सा होता है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। ऐसे में होर्मुज जलडमरूमध्य से होने वाला व्यापार भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिहाज से बेहद अहम है।
थिंक टैंक जीटीआरआई के अनुसार, होर्मुज जलडमरूमध्य से व्यापार बाधित होने से दुनियाभर में तेल के दाम तेजी से बढ़ेंगे। साथ ही इससे जहाजों की आवाजाही की लागत, इंश्योरेंस प्रीमियम, महंगाई बढ़ेगी। साथ ही इससे रुपये पर भी दबाव आएगा और ये सब भारत का बजट बिगाड़ सकता है। बीती 14-15 जून को इस्राइल ने हूती विद्रोहियों पर भी हमला किया था, जिससे लाल सागर क्षेत्र में भी तनाव बढ़ा हुआ है और हूती विद्रोही व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं।
Leave a Reply