NHS Fertility Treatment Ban: बांझपन मुफ्त इलाज करता है यह देश, IVF से लेकर डिलीवरी तक सारा खर्च उठाती है सरकार; अब बंद होने जा रही सर्विस

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NHS fertility treatment: दुनियाभर में महिलाओं के सामने जितनी भी सबसे बड़ी समस्या हैं, उनमें से एक है बच्चा पैदा न होना. भारत समेत दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां मां न बन पाने वाली महिलाओं को लोग तरह-तरह की बातें बोलते हैं, बुरा भला कहते हैं. कई कपल्स इस दिक्कत से बचने के लिए मेडिकल का सहारा लेते हैं, लेकिन उनको इसके लिए काफी पैसे देने होते हैं. यही कारण है कि गरीब या मिडिल क्लास फैमली इसको अफोर्ड नहीं कर पाती है.  

ब्रिटेन उन देशों में शामिल है, जहां सरकार की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था (NHS) के तहत अब तक बांझपन के इलाज का पूरा खर्च उठाया जाता रहा है. IVF से लेकर डिलीवरी तक का सारा खर्च सरकार की ओर से कवर किया जाता है. लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं. इंग्लैंड के बाथ और नॉर्थ ईस्ट समरसेट इलाके की क्लिनिकल कमीशनिंग ग्रुप ने नई योजना पेश की है, जिसके मुताबिक अगर किसी महिला के पति का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 30 से ऊपर है यानी वे मोटापे की कैटेगरी में आते हैं, तो ऐसे कपल्स को IVF फंडिंग नहीं दी जाएगी.
   
विवाद क्यों उठा?

NHS मैनेजर्स का कहना है कि उन्हें बेहद कठिन वित्तीय हालात का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए यह कदम उठाना पड़ रहा है. उनका तर्क है कि मोटापे से प्रभावित कपल्स में गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है. लेकिन एक्सपर्ट इस दावे को खारिज कर रहे हैं. ऑक्सफोर्ड फर्टिलिटी के प्रोफेसर टिम चाइल्ड ने इसे “IVF को सीमित करने का बहाना” बताया है. वहीं, कैंपेन ग्रुप Fertility Fairness की सारा नॉर्क्रॉस ने कहा कि वह इस फैसले से “हैरान और आहत” हैं.

नए दिशा-निर्देश भी चर्चा में

इसी बीच, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (NICE) ने नई गाइडलाइन जारी की है. इसमें IVF के दौरान अपनाए जाने वाले कई लोकप्रिय “एड-ऑन ट्रीटमेंट्स” पर रोक लगाने की सिफारिश की गई है. इनमें एंडोमेट्रियल स्क्रैच, हिस्टेरोस्कोपी और कुछ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट शामिल हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि ये इलाज मरीजों को झूठी उम्मीद देते हैं और अक्सर किसी वैज्ञानिक प्रमाण के बिना कराए जाते हैं.

आगे क्या?

अगर NHS इस दिशा में आगे बढ़ता है, तो ब्रिटेन के हजारों कपल्स जो अब तक IVF और डिलीवरी तक की मुफ्त सुविधा का लाभ उठा रहे थे, उन्हें इलाज के लिए निजी क्लीनिकों पर निर्भर होना पड़ेगा. इससे कई परिवारों का माता-पिता बनने का सपना अधूरा रह सकता है. इस तरह से ब्रिटेन में अभी तक जो लोग इसका फायदा उठा रहे थे, अब उनको इलाज के लिए अपनी जेब से पैसे देने होंगे. 

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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