Effects Of Air Pollution: एयर पॉल्यूशन इस समय दुनिया में सबसे बड़ी समस्या है. अगर भारत के हिसाब से देखें, तो भारत के ज्यादातर शहर इसकी चपेट में हैं. देश की राजधानी दिल्ली में हर साल ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जाती है. इसको लेकर तमाम तरह की दिक्कतें होती हैं, लेकिन अब इसको लेकर एक बड़ा खुलासा दिल्ली एम्स और कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों ने किया है. उनके हिसाब से अगर आपके जोड़े में दर्द की दिक्कत होती है, तो इसका कारण वायु प्रदूषण है. फोर्टिस, नई दिल्ली के विशेषज्ञ डॉक्टर प्रमोद कुमार ने बताया कि कई रिसर्च इस बात का संकेत दे रही हैं कि वायु प्रदूषण के चलते लोगों के अंदर 12 से 18 प्रतिशत तक जोड़ो के दर्द की शिकायत हो सकती है. चलिए आपको बताते हैं कि वायु प्रदूषण से अर्थेराइटिस के अलावा बाकी कौन सी बीमारियां हो रही हैं.
वायु प्रदूषण किन अंगों को प्रभावित करता है?
WHO के अनुसार, शरीर का लगभग हर अंग वायु प्रदूषण से प्रभावित हो सकता है. बहुत छोटे दूषित कण फेफड़ों से होकर खून में चले जाते हैं और पूरे शरीर में फैलकर सूजन और कैंसर जैसी बीमारियां पैदा करते हैं.
वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियां कौन-सी हैं?
वायु प्रदूषण ऑल-कॉज मॉर्टेलिटी के साथ-साथ कई खास बीमारियों का बड़ा रिस्क फैक्टर है. इनमें सबसे ज्यादा जुड़ी बीमारियां हैं स्ट्रोक, इस्केमिक हार्ट डिजीज, सीओपीडी जैसे कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, लंग्स का कैंसर, निमोनिया और मोतियाबिंद. कुछ रिसर्च यह भी बताती हैं कि वायु प्रदूषण का असर प्रेग्नेंसी पर जैसे कि लो बर्थ वेट, छोटा बच्चा पर पड़ता है, अन्य कैंसर, डायबिटीज, याददाश्त कमजोर होने और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों पर भी पड़ सकता है.
कौन से प्रदूषक सबसे खतरनाक हैं?
हालांकि कई तरह के टॉक्सिन्स नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन जिनका हेल्थ पर सबसे ज्यादा असर माना गया है, उनमें शामिल हैं पार्टिकुलेट मैटर (PM), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), ओज़ोन (O3), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2). खासकर PM बहुत खतरनाक है क्योंकि ये इतने छोटे होते हैं कि फेफड़ों में गहराई तक जाकर खून में मिल जाते हैं और फिर शरीर के कई अंगों तक पहुंचकर सेल्स और टिश्यू को नुकसान पहुंचाते हैं.
बीमारियों के बारे में विस्तार से जानें
कैंसर
इसमें सबसे पहले आता है कैंसर वायु प्रदूषण से जुड़ी सबसे कॉमन बीमारियों में से एक है. यह कार्सिनोजेनिक पार्टिकल्स की वजह से होता है, जो फोसिल फ्यूल जलने पर निकलते हैं. कैंसर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा यह फेफड़ों में पाया जाता है. फेफड़ों के कैंसर में नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर सबसे आम है और करीब 80 प्रतिशत मामलों में यही देखा जाता है. यह स्मॉल सेल लंग कैंसर की तुलना में कम आक्रामक होता है और इसका प्रोग्नोसिस बेहतर होता है.
न्यूरोलॉजिकल डिजॉर्डर्स
वायु प्रदूषण कई न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से भी जुड़ा है. इनमें अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियां शामिल हैं. अल्ज़ाइमर डिजीज एक डीजेनेरेटिव ब्रेन डिसऑर्डर है, जिसमें याददाश्त कमजोर होती है और सोचने-समझने की क्षमता घटती है. रिसर्च से पता चला है कि वायु प्रदूषण इसकी प्रोग्रेशन को तेज कर देता है.
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियां
कई डाइजेशन से जुड़ी बीमारियां भी वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं, जैसे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, क्रोहन डिजीज और अल्सरेटिव कोलाइटिस. स्टडी से पता चला है कि जिन इलाकों में प्रदूषण ज्यादा है वहां लोग इन बीमारियों से अधिक पीड़ित होते हैं.
किडनी डिजीज
वायु प्रदूषण से किडनी पर भी असर पड़ता है. इसमें ये कुछ प्रकार प्रमुख हैं जैसे कि क्रॉनिक किडनी डिज़ीज, यह लंबी अवधि की बीमारी है, जो किडनी फेल्योर तक पहुंचा सकती है. यह शरीर में जमा टॉक्सिन्स, जिनमें प्रदूषण के तत्व भी शामिल हैं, की वजह से होती है. एक्यूट किडनी इंजरी, यह अचानक होने वाली और कभी-कभी ठीक हो जाने वाली किडनी की समस्या है. यह तब होती है जब हाई लेवल प्रदूषण, खासकर पार्टिकुलेट मैटर, शरीर में जाता है.
लिवर डिजीज
वायु प्रदूषण का असर लिवर पर भी पड़ता है. इससे फैटी लिवर डिज़ीज़ का खतरा बढ़ता है, जिसमें लिवर में फैट जमा हो जाता है और सूजन व स्कारिंग हो सकती है.
स्किन डिजीज
विभिन्न स्किन प्रॉब्लम्स भी वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं, जैसे एक्ज़िमा, सोरायसिस और एक्ने. एक्जिमा में त्वचा रूखी, खुजलीदार और सूजन की दिक्कत जाती है. माना जाता है कि प्रदूषण इसकी शुरुआत या फ्लेयर-अप को ट्रिगर कर सकता है.
अस्थमा
अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और उनमें सूजन व बलगम बनने लगता है. इससे सांस लेने में तकलीफ, खांसी, घरघराहट और सीने में जकड़न जैसे लक्षण दिखते हैं. अस्थमा के बड़े ट्रिगर्स में वायु प्रदूषण, ठंडा मौसम और पोलेन शामिल हैं.
ब्रोंकाइटिस
ब्रोंकाइटिस भी वायु प्रदूषण से जुड़ी एक आम बीमारी है. इसमें फेफड़ों की ब्रोंकस सूज जाती हैं और जलन होती है. इसका कारण धुआं, धूल या केमिकल फ्यूम्स हो सकते हैं. इसके लक्षणों में खांसी, घरघराहट, सांस फूलना और सीने में दर्द शामिल हैं.
अर्थेराइटिस
अब इसमें एक नया नाम अर्थेराइटिस का जुड़ गया है. एक्सपर्ट बताते हैं कि दिल्ली की जहरीली हवा और अर्थेराइटिस रुमेटॉइड आर्थराइटिस की दिक्कतों को बढ़ा रहे हैं. हाल ही में कई स्टडी में यह निकला है कि प्रदूषण काफी तेजी से इसकी दिक्कतों को बढ़ा रहे हैं. इसका सबसे ज्यादा पुख्ता प्रमाण रोपियन मेडिकल जर्नल (2025) में प्रकाशित प्रदूषण पर रिसर्च पर मिलता है. जिसमें इससे बढ़ने वाली कई दिक्कतों का जिक्र किया गया है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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