Mental Health Problems Symptoms: दुनियाभर में हर साल 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है. इस डे को मनाने के पीछे का जो उद्देश्य है, वह यह है कि लोगों को याद दिलाना है कि मेंटल हेल्थ भी उतना ही जरूरी है इंसान के लिए जितना कि फिजिकल हेल्थ. अक्सर हम सिरदर्द, बुखार और बाकी समस्याओं को तो सीरियस लेते हैं, लेकिन हम मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज कर देते हैं. यही वजह है कि जब हम समय रहते इस पर ध्यान नहीं देते हैं, तो यह बाद में चलकर गंभीर डिप्रेशन, एंग्जायटी या यहां तक कि आत्महत्या जैसी स्थिति तक पहुंच जाता है.
एक्सपर्ट का मानना है कि अगर हम शुरू में ही इसके कुछ लक्षणों को पहचान लें, तो यह काम आसान हो जाता है कि इसका इलाज आसानी से करा सकें. चलिए आपको इसके कुछ लक्षणों के बारे में बताते हैं.
क्या होते हैं मेंटल प्रॉब्लम के लक्षण?
मूड का लंबे समय तक खराब रहना
इसका पहला जो लक्षण है, वह है हमारा मूड किसी बात को लेकर लंबे समय तक खराब रहना. मान लीजिए आप अपनी प्रेमिका से किसी बात पर गुस्सा हैं. यह गुस्सा कुछ मिनट या कुछ घंटे का हो सकता है. लेकिन इस केस में लगातार उदासी, खुशी महसूस न होना या हर चीज बेकार लगना डिप्रेशन का संकेत हो सकता है. अगर दो दिन तक यह स्थिति बनी रहे, तो हमें डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए. WHO (World Health Organization) की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में हर 8 में से 1 व्यक्ति किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहा है.
अत्यधिक चिंता और डर
National Alliance on Mental Illness (NAMI) की रिपोर्ट बताती है कि अगर व्यक्ति हर छोटी बात पर घबराने लगे, लगातार बेचैन रहे और डर उसकी दिनचर्या को प्रभावित करने लगे, तो यह एंग्जायटी डिसऑर्डर का संकेत है.
नींद और भूख में बदलाव
American Psychiatric Association (APA) के अनुसार, मेंटल प्रॉब्लम के शुरुआती लक्षणों में जो चीज सबसे कॉमन है, वह है नींद की दिक्कत. इसमें या तो व्यक्ति को बहुत ज्यादा नींद आती है या बिल्कुल नींद नहीं आती. यही स्थिति उसके साथ खाने-पीने को लेकर भी देखने को मिलती है.
सामाजिक जीवन से दूरी बनाना
Healthdirect Australia की रिसर्च कहती है कि मेंटल प्रॉब्लम के दौरान इंसान खुद से, दोस्तों से और परिवार से दूरी बनाना शुरू कर देता है. यानी अगर उसे अकेला रहना ज्यादा पसंद आने लगे, तो यह मेंटल प्रॉब्लम की दिक्कत है.
ध्यान और याददाश्त में कमी
American Psychiatric Association (APA) के मुताबिक, मानसिक समस्याओं में ध्यान केंद्रित करने और निर्णय लेने की क्षमता पर सीधा असर पड़ता है. बार-बार भूलना और कन्फ्यूजन महसूस करना इसका आम लक्षण है.
गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ना
इसको लेकर तमाम रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश हुई हैं, जिनमें इस बात पर जोर दिया गया है कि जब इंसान के अंदर गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ने लगे, तो समझिए कि वह किसी मेंटल दिक्कत का सामना कर रहा है. अचानक गुस्सा, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स आम संकेत हैं.
आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुंचाने के विचार
इसमें सातवां कारण यह है कि जब इंसान डिप्रेशन का शिकार बनता है, तो उसके मन में सवाल आने लगते हैं कि यह जिंदगी तो बेकार है, मैं जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता, लोग मुझसे कितना आगे निकल गए हैं. Mayo Clinic की रिपोर्ट बताती है कि जब व्यक्ति बार-बार यह सोचने लगे कि “जीने का कोई मतलब नहीं है” या “खुद को नुकसान पहुंचा दूं,” तो ऐसे इंसान को तुरंत मेडिकल मदद की जरूरत है, बिना किसी इफ एंड बट के, क्योंकि यह काफी खतरनाक स्तर हो सकता है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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