अमेरिका-चीन के बीच फिर बढ़ी तनातनी, फायदे में रहेगा भारत; मिलेंगे एक से बढ़कर एक मौके

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US-China Trade War: अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर से ट्रेड वॉर अपने चरम पर है. एक तरफ चीन रेयर अर्थ के निर्यात पर नियंत्रण लगाने के नियम और सख्त बना दिए हैं. वहीं, इस पर पलटवार करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी प्रोडक्ट्स पर 100 परसेंट टैरिफ लगा दिया है.

दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच इस तनातनी का फायदा भारत को होगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते इस ट्रेड वॉर से भारतीय एक्सपोटर्स को अमेरिकी बाजारों में अपना एक्सपोर्ट बढ़ाने का फायदा मिल सकता है. जाहिर तौर पर चीन के इस कदम का असर अमेरिका की तमाम इंडस्ट्रीज पर पड़ेगा , जिसमें डिफेंस से लेकर क्लीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक व्हीकल तक शामिल हैं. 

भारत-चीन के टैरिफ में काफी अंतर

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के प्रेसिडेंट एस. सी. रल्हन ने कहा कि चीन पर अमेरिका के हाई टैरिफ लगाने से डिमांड भारत की तरफ शिफ्ट होगा. इसका हमें फायदा मिल सकता है. कारोबारी साल 2024-25 (अप्रैल-मार्च) में भारत ने अमेरिका में  86.51 अरब डॉलर के सामान भेजे. चीन पर लगाया गया अमेरिका का  100 परसेंट टैरिफ 1 नवंबर, 2025 से लागू हो जाएगा.

इसी के साथ पहले लगाए गए 30 परसेंट बेसलाइन टैरिफ के साथ चीन पर आयात शुल्क बढ़कर अब 130 परसेंट हो जाएगा. अमेरिका भारत पर इस वक्त 50 परसेंट टैरिफ लगाता है, जो चीन के 130 परसेंट से कहीं ज्यादा कम है. अब यही भारत के एक्सपोटर्स को फायदा दिलाएगा. 

चीन पर कम होगी अमेरिका की निर्भरता

चीन पर टैरिफ बढ़ने से यहां के प्रोडक्ट अमेरिका में महंगे हो जाएंगे, जिससे वे कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, खिलौना निर्यातक मनु गुप्ता का कहना है कि चीनी सामानों पर हाई टैरिफ से दोनों ही देशों के खरीदारों को आकर्षित करने में हमें मदद मिलेगी. वह आगे कहते हैं, ”इससे हमें मदद मिलेगी. हमें समान अवसर मिलेंगे.”

उन्होंने रिटेल सेक्टर की बड़ी कंपनी टारगेट जैसे अमेरिकी खरीदारों के उनसे संपर्क करने की बात का भी खुलासा किया. थिंक टैंक GTRI ने भी कहा कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से वैश्विक बाजारों में इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों और सेमीकंडक्टर पुर्जों की कीमतें बढ़ेंगी. अमेरिका इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, जूते, व्हाइट गुड्स और सौर पैनलों के लिए चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर है. अब इनकी कीमत बढ़ने से भारत से इन्हें मंगाने का प्रॉसेस तेज होगा. 

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