अमेरिकी डॉलर के खिलाफ चीन-रूस-भारत की बड़ी चाल! अब बढ़ेगी टैरिफ लगाने वाले ट्रंप की टेंशन

Spread the love



yuan For Russian Oil: भारत द्वारा रूस से खरीदे जा रहे कच्चे तेल का भुगतान अब अमेरिकी डॉलर की बजाय चीन की मुद्रा ‘यूआन’ में किया जा रहा है. यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए असहज करने वाली खबर साबित हो सकता है, खासकर उस वक्त जब वे बार-बार भारत पर उच्च टैरिफ लगाने और ब्रिक्स देशों की साझा करेंसी योजना की आलोचना कर चुके हैं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस से तेल खरीदने वाले भारतीय रिफाइनर्स को रूसी आपूर्तिकर्ताओं (ट्रेडर्स) ने हाल के शिपमेंट्स के भुगतान के लिए कहा कि वे अमेरिकी डॉलर या यूएई दिरहम की बजाय यूआन में भुगतान करें.

ट्रंप की बढ़ेगी बेचैनी!

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) — जो देश की सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनी है — ने कम से कम दो या तीन रूसी तेल शिपमेंट्स का भुगतान यूआन में किया है.

पारंपरिक रूप से तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों का भुगतान हमेशा अमेरिकी डॉलर में किया जाता रहा है. लेकिन रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों और रूबल भुगतान प्रणाली की जटिलताओं के कारण अब वैकल्पिक मुद्रा की ज़रूरत महसूस की जा रही है. इस स्थिति में यूआन में भुगतान करना अधिक सुविधाजनक विकल्प बन गया है.

क्यों बढ़ा यूआन का इस्तेमाल?

यह पहली बार नहीं है जब भारत ने तेल खरीद का भुगतान यूआन में किया हो. साल 2023 में भी भारतीय सरकारी कंपनियों ने कुछ शिपमेंट्स के लिए यूआन में भुगतान किया था. हालांकि, भारत-चीन संबंधों में तनाव बढ़ने के बाद उस प्रथा पर रोक लगा दी गई थी.

अब, ताज़ा घटनाक्रम से संकेत मिलते हैं कि भारत ने यूआन में भुगतान की अनुमति को फिर से आंशिक रूप से बहाल किया है. निजी तेल कंपनियाँ पहले से ही यूआन में भुगतान कर रही थीं, लेकिन अब सरकारी रिफाइनर्स के शामिल होने से यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संतुलन और अमेरिकी डॉलर की वैश्विक पकड़ दोनों के लिए अहम माना जा रहा है.

ये भी पढ़ें: स्टॉक मार्केट ये गोल्ड? इस दिवाली कहां पर होगी आपकी ‘चांदी’, जानें क्या कह रहे एक्सपर्ट्स



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *