Dollar vs Rupee: अमेरिकी डॉलर की मजबूती और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितताओं के बीच, मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया एक पैसे टूटकर 88.75 प्रति डॉलर पर आ गया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक, विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी, भू-राजनीतिक तनाव, और डॉलर इंडेक्स की मजबूती — ये सभी कारण रुपये पर दबाव बना रहे हैं.
बाजार में शुरुआती कारोबार
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय (Forex Market) में रुपया 88.72 प्रति डॉलर पर थोड़ा मजबूत खुला, लेकिन जल्द ही एक पैसे की गिरावट के साथ 88.75 प्रति डॉलर पर आ गया. पिछले कारोबारी दिन यानी सोमवार को रुपया 88.74 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि हालांकि वैश्विक बाजार में डॉलर की मजबूती और विदेशी निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली ने रुपये की बढ़त को सीमित कर दिया. इन कारकों के चलते घरेलू मुद्रा पर हल्का दबाव बना रहा. मिराए एसेट शेयरखान के मुद्रा एवं जिंस शोध विश्लेषक अनुज चौधरी का कहना है- हमारा अनुमान है कि घरेलू शेयर बाजारों में मजबूती और अमेरिकी डॉलर में समग्र कमजोरी से रुपया निकट भविष्य में सकारात्मक रुख के साथ कारोबार कर सकता है. साथ ही, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में संभावित नरमी भी रुपये के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को दर्शाता है, 0.06% बढ़कर 97.86 पर पहुंच गया. अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड 0.34% की बढ़त के साथ 65.69 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था.
घरेलू शेयर बाजार में हल्की बढ़त
घरेलू शेयर बाजारों में भी मंगलवार को हल्की तेजी दर्ज की गई- बीएसई सेंसेक्स: 93.83 अंकों की बढ़त के साथ 81,883.95 अंक पर, एनएसई निफ्टी 50: 46.35 अंक ऊपर चढ़कर 25,124.00 अंक पर पहुंचा. शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने सोमवार को ₹313.77 करोड़ के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की. इस निरंतर निकासी से भी रुपये पर दबाव बना हुआ है.
अमेरिकी डॉलर की मजबूती, वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं और एफआईआई की बिकवाली — इन सभी कारकों के चलते रुपये पर दबाव बना हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिकी डॉलर का रुख मजबूत बना रहता है, तो आने वाले सत्रों में रुपया 88.80 के स्तर को भी छू सकता है.
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