पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। तालिबान ने दावा किया है कि पाकिस्तान की ओर से किए गए हवाई हमले के जवाब में उसकी सेनाओं ने सीमा चौकियों पर भारी झड़पें की हैं। इसमें पाकिस्तान के पांच सैनिकों की मौत हो गई है। इसके अलावा अफगानी सेना द्वारा सीमा की कई चौकियों पर कब्जे का दावा भी किया है। अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह कार्रवाई पाकिस्तान द्वारा अफगान क्षेत्र में की गई बमबारी के प्रतिशोध में की गई है।
तालिबान की ओर से जारी बयान में कहा गया पाकिस्तानी बलों द्वारा किए गए हवाई हमलों के जवाब में अफगान सीमा बलों ने विभिन्न सीमा क्षेत्रों में पाकिस्तानी चौकियों पर भारी झड़पें कीं। पाकिस्तान सरकार की ओर से भी इस घटना पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
हवाई हमले का आरोप, संप्रभुता के उल्लंघन की शिकायत
अफगान रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को पाकिस्तान पर अपने क्षेत्र की हवाई सीमा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तानी विमानों ने ड्यूरंड लाइन के पास पकतीका प्रांत के मरघी क्षेत्र में एक नागरिक बाजार पर बमबारी की। मंत्रालय ने इसे अफगानिस्तान की संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन बताया। बयान में कहा गया कि यह एक अभूतपूर्व, हिंसक और उकसाने वाला कदम है। हम इस उल्लंघन की कड़ी निंदा करते हैं। अपनी भूमि की रक्षा करना हमारा अधिकार है।
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तालिबान ने किया पलटवार, भारत दौरे के बीच बढ़ा तनाव
यह झड़प ऐसे समय में हुई जब तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत के दौरे पर थे। इससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव और गहरा गया है। इससे पहले गुरुवार देर रात काबुल में भी एक विस्फोट हुआ था, हालांकि उसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं आई। शुक्रवार को भारत और अफगानिस्तान ने पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को “साझा खतरा” बताते हुए कड़ा रुख अपनाया।
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पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने क्या कहा था?
इससे पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी हाल ही में संसद में कहा था कि यदि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमला हुआ तो जवाबी कार्रवाई में नुकसान को नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने दो टूक कहा कि अब बहुत हो चुका है। गौरतलब है कि यह तनाव ऐसे समय में बढ़ा है जब अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत के दौरे पर आए हैं। 9 से 16 अक्तूबर तक चलने वाला यह दौरा तालिबान सरकार के किसी वरिष्ठ प्रतिनिधि की भारत की पहली यात्रा है, जो 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद हो रही है।
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