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रायपुर की लक्ष्मी वर्मा ने घर की रसोई से उड़द दाल के बड़ा बनाकर बिज़नेस की मिसाल पेश की है. महिला समूह से जुड़ी लक्ष्मी अपने हाथों से देसी स्वाद और कुरकुरे बड़े तैयार करती हैं. 20 रुपए में 4 बड़े की प्लेट मेलों व बाजारों में खूब बिक रही है. उनका मकसद स्वाद के साथ छत्तीसगढ़ी परंपरा और महिला आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है.
रायपुर : छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों की अपनी एक अलग पहचान है. देसी स्वाद, देसी खुशबू और देसी अपनापन. इन्हीं पारंपरिक व्यंजनों में से एक है ‘उड़द दाल का बड़ा’, जो अब गांवों से निकलकर शहरों की पसंदीदा डिश बनता जा रहा है. रायपुर जिले के सिलतरा निवासी लक्ष्मी वर्मा इस पारंपरिक स्वाद को आधुनिक बाजार तक पहुंचा रही हैं.
लक्ष्मी वर्मा एक महिला समूह से जुड़ी हुई हैं और अपने साथ कई अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की राह पर ला रही हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बनाए गए उड़द दाल के बड़े न केवल स्वादिष्ट और कुरकुरे होते हैं, बल्कि पूरी तरह घर की शुद्धता और देसी तरीके से तैयार किए जाते हैं. इस पारंपरिक स्नैक की अब शहरों में भी खूब डिमांड बढ़ गई है, खासकर मेलों और लोकल बाजारों में इनका स्टॉल लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
बड़ा बनाने की आसान रेसिपी
लक्ष्मी वर्मा ने बातचीत के दौरान उड़द दाल का बड़ा बनाने की आसान रेसिपी भी साझा की. उन्होंने बताया कि सबसे पहले उड़द दाल को दो से तीन घंटे तक पानी में भिगोकर रखा जाता है. इसके बाद उसका छिलका हटाने के लिए दाल को अच्छे से धोया जाता है. फिर मिक्सर में उसे बारीक पीस लिया जाता है. अब इसमें बारीक कटी हरी मिर्च, प्याज, धनिया पत्ती और स्वादानुसार नमक डालकर अच्छे से मिलाया जाता है.
मिश्रण तैयार हो जाने के बाद, इसे हाथ से गोल या चपटा आकार देकर गरम तेल में धीमी आंच पर 15 से 20 मिनट तक तला जाता है, ताकि अंदर तक कुरकुरापन बना रहे. जब बड़ा सुनहरा और करारा हो जाए, तब इसे टमाटर की चटनी या हरी धनिया की चटनी के साथ परोसा जाता है. लक्ष्मी बताती हैं कि उड़द दाल का बड़ा खाने में इतना स्वादिष्ट होता है कि एक बार खाने वाला इसे भूल नहीं पाता.
कीमत भी पूरी तरह बजट फ्रेंडली
इन बड़े की कीमत भी पूरी तरह बजट फ्रेंडली है. मात्र 20 रुपए प्रति प्लेट में 4 नग बड़े मिलते हैं, जो नाश्ते या शाम की चाय के साथ परफेक्ट जोड़ी बनाते हैं. महिला समूह की सदस्याएं इन्हें मेलों, हाट बाजारों और लोकल दुकानों में बेचती हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है. लक्ष्मी कहती हैं कि हमारा मकसद सिर्फ स्वाद परोसना नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की परंपरा और महिला आत्मनिर्भरता को भी आगे बढ़ाना है. उनकी मेहनत और देसी स्वाद का यह मेल अब लोगों की जुबान पर चढ़ चुका है.
7 वर्षों से पत्रकारिता में अग्रसर. इलाहबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन जर्नालिस्म की पढ़ाई. अमर उजाला, दैनिक जागरण और सहारा समय संस्थान में बतौर रिपोर्टर, उपसंपादक औऱ ब्यूरो चीफ दायित्व का अनुभव. खेल, कला-साह…और पढ़ें
7 वर्षों से पत्रकारिता में अग्रसर. इलाहबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन जर्नालिस्म की पढ़ाई. अमर उजाला, दैनिक जागरण और सहारा समय संस्थान में बतौर रिपोर्टर, उपसंपादक औऱ ब्यूरो चीफ दायित्व का अनुभव. खेल, कला-साह… और पढ़ें
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