Gold Price Today: देश में सोने की कीमत अक्टूबर की शुरुआत से ही लगातार ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच रही है. इसके पीछे मुख्य कारण अमेरिका में संभावित शटडाउन की आशंका मानी जा रही है, जिसके चलते निवेशक सुरक्षित निवेश के विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं. इसके अलावा, भारत में त्योहारी सीजन के दौरान बढ़ी मांग ने भी सोने के दाम को ऊंचा बनाए रखा है. शुक्रवार, 13 अक्टूबर को भी बाजार में सोने की कीमतों में एक बार फिर तेजी दर्ज की गई.
कितनी बढ़ी कीमत?
देश के घरेलू बाजार में 24 कैरेट सोना, जो निवेश के उद्देश्य से खरीदा जाता है, आज 10 ग्राम के लिए 1,25,400 रुपये की दर से बिक रहा है, यानी इसमें 320 रुपये की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, 22 कैरेट सोना, जो आमतौर पर आभूषणों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, 10 ग्राम के लिए 1,14,950 रुपये पर पहुंच गया है, यानी इसमें 300 रुपये की वृद्धि हुई है. इसके अलावा, 18 कैरेट सोना, जो ज्वैलरी बनाने में लोकप्रिय है, आज 10 ग्राम के लिए 95,050 रुपये की दर से बिक रहा है, यानी इसमें 240 रुपये का इजाफा हुआ है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में संभावित सरकारी शटडाउन की आशंका और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के कारण निवेशक सोने जैसे सुरक्षित निवेश माध्यमों की ओर झुक रहे हैं. वहीं, भारत में नवरात्र, धनतेरस और दिवाली जैसे त्योहारों के चलते मांग में वृद्धि से घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है.
कैसे तय होता है रेट?
सोने और चांदी की कीमतें रोजाना कई आर्थिक और वैश्विक कारकों के आधार पर तय होती हैं. इन धातुओं की दरों में उतार-चढ़ाव सिर्फ बाजार की मांग और आपूर्ति पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों, मुद्रा दरों और सरकारी नीतियों पर भी निर्भर करता है. सबसे पहले, एक्सचेंज रेट और डॉलर की कीमतों में बदलाव का बड़ा असर पड़ता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी की कीमतें अमेरिकी डॉलर में तय होती हैं, इसलिए जब डॉलर मजबूत होता है या रुपया कमजोर होता है, तो भारत में इनकी कीमतें बढ़ जाती हैं.
दूसरा, सीमा शुल्क (Import Duty) और टैक्स भी सोने-चांदी की दरों को प्रभावित करते हैं. भारत में इन धातुओं का बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है, इसलिए अगर सरकार इंपोर्ट ड्यूटी या जीएसटी बढ़ाती है, तो सोने की कीमत भी बढ़ जाती है. तीसरा, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां भी इन धातुओं के दाम तय करने में अहम भूमिका निभाती हैं. जब दुनिया में किसी तरह की उथल-पुथल होती है — जैसे युद्ध, आर्थिक मंदी या ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव — तो निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में सोने और चांदी की ओर रुख करते हैं, जिससे कीमतें बढ़ जाती हैं.
चौथा, भारत में सोने का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी कीमतों को प्रभावित करता है. शादी-ब्याह, त्योहारों और शुभ अवसरों पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. इन मौकों पर मांग बढ़ने से कीमतें भी ऊपर चली जाती हैं. पांचवां, मुद्रास्फीति (Inflation) और निवेश का नजरिया भी इसमें भूमिका निभाता है. जब महंगाई बढ़ती है या शेयर बाजार अस्थिर होता है, तो लोग सोने और चांदी में निवेश करना सुरक्षित मानते हैं. यह बढ़ती मांग कीमतों को ऊपर ले जाती है. इस तरह, सोने और चांदी की कीमतें सिर्फ कीमती धातु के मूल्य पर नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक और घरेलू आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती हैं.
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