भारत और अफगानिस्तान के साझा बयान से पाकिस्तान तिलमिला उठा है। शनिवार को इस्लामाबाद ने अफगानिस्तान के राजदूत को तलब कर संयुक्त बयान में जम्मू-कश्मीर का जिक्र होने पर सख्त आपत्ति जताई। पाकिस्तान ने कहा कि कश्मीर को भारत का हिस्सा बताना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन है।
दरअसल, अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी इन दिनों छह दिवसीय भारत यात्रा पर हैं। इस दौरान भारत और अफगानिस्तान के बीच एक संयुक्त बयान जारी किया गया, जिसमें कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए अफगानिस्तान ने भारत की जनता और सरकार के प्रति संवेदना और एकजुटता व्यक्त की।
राजदूत को बुला जताई आपत्ति
इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि उसने अफगान दूत को बुलाकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। पाक विदेश कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अतिरिक्त विदेश सचिव (पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान) ने संयुक्त बयान में जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा बताए जाने पर पाकिस्तान की गहरी आपत्तियां अफगान राजदूत को बताईं।
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बयान में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर अपने सिद्धांत आधारित रुख पर कायम है और किसी भी देश द्वारा कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बताना अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का खुला उल्लंघन है।
मुत्तकी के दावे को किया खारिज
पाकिस्तान ने मुत्तकी के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि आतंकवाद केवल पाकिस्तान का आंतरिक मामला है। बयान में कहा गया कि आतंकवाद नियंत्रण की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर डालना अफगान अंतरिम सरकार को क्षेत्रीय शांति सुनिश्चित करने से मुक्त नहीं कर सकता। विदेश कार्यालय ने पाकिस्तान द्वारा पिछले चार दशकों में चार मिलियन अफगानों की मेजबानी का हवाला देते हुए कहा कि अफगानिस्तान में शांति लौटने के साथ देश में रह रहे अवैध अफगान नागरिकों को अपने देश लौट जाना चाहिए।
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पाकिस्तान ने कहा कि विदेशी नागरिकों की उपस्थिति को नियंत्रित करने का अधिकार हर देश को है और वह चिकित्सा और अध्ययन वीजा जारी करता रहेगा। साथ ही, पाकिस्तान ने क्षेत्रीय शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए अफगान सरकार से अपेक्षा जताई कि वह अपने क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवादी तत्वों द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ न होने दें।
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