Patanjali Orthogrit showed wonders in the treatment of arthritis, research published in a world famous journal

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पतंजलि अनुसंधान संस्थान का दावा है कि कंपनी ने जोड़ों के दर्द और गठिया (आर्थराइटिस) के उपचार में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. कंपनी ने कहा है कि संस्थान की आयुर्वेद आधारित औषधि ऑर्थोग्रिट ने गठिया के उपचार में उल्लेखनीय प्रभाव दिखाया है. इस शोध को Elsevier प्रकाशन के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल Pharmacological Research – Reports में प्रकाशित किया गया है, जो पतंजलि के वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आयुर्वेद की शक्ति को दर्शाता है.

कंपनी का दावा है, ”यह अध्ययन बताता है कि ऑर्थोग्रिट गठिया के कारण होने वाली सूजन को कम करने, कार्टिलेज के घिसाव को रोकने और जोड़ों की कार्यक्षमता को बनाए रखने में असरदार है.”

ऑर्थोग्रिट आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का अनूठा संगम- आचार्य बालकृष्ण

पतंजलि योगपीठ के प्रमुख आचार्य बालकृष्ण ने कहा, “आज के समय में घुटनों का दर्द और गठिया बुजुर्गों में एक आम समस्या है. आधुनिक चिकित्सा पद्धतियां केवल लक्षणों को दबाती हैं, लेकिन आयुर्वेद रोग के मूल कारण को लक्षित करता है. ऑर्थोग्रिट आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का अनूठा संगम है, जो गठिया जैसी जटिल बीमारी को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखता है.”

पतंजलि की ऑर्थोग्रिट ने गठिया के उपचार में दिखाया कमाल, विश्व प्रसिद्ध जर्नल में छपा शोध

पतंजलि का दावा है कि ऑर्थोग्रिट में वचा, मोथा, दारूहल्दी, पिप्पलमूल, अश्वगंधा, निर्गुंडी और पुनर्नवा जैसी प्राकृतिक जड़ी-बूटियां शामिल हैं, जो प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में जोड़ों के दर्द और सूजन के इलाज में प्रभावी मानी गई हैं.

करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है गठिया जैसी बीमारी- वैज्ञानिक

पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि गठिया एक ऐसी पुरानी बीमारी है, जो विश्वभर में करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है. इस शोध में मानव कार्टिलेज कोशिकाओं के 3D Spheroids और C. elegans (एक मॉडल जीव) पर अध्ययन किया गया. अध्ययन में पाया गया कि ऑर्थोग्रिट ने मानव कार्टिलेज कोशिकाओं को सूजन के हानिकारक प्रभावों से बचाया, Reactive Oxygen Species (ROS) को कम किया और IL-6, PEG-2, IL-1β जैसे सूजन-संबंधी मार्करों के स्तर को घटाया.

साथ ही, यह JAK2, COX2, MMP1, MMP3, और ADAMTS-4 जैसे जीनों के अभिव्यक्ति (Gene Expression) को नियंत्रित करने में भी सफल रहा. C. elegans पर किए गए अध्ययन में ऑर्थोग्रिट ने इन जीवों के जीवनकाल को बढ़ाया, उनकी गतिशीलता में सुधार किया और सूजन से जुड़े जीनों जैसे PMK-1, SEK-1, और CED-3 के अभिव्यक्ति को नियंत्रित किया.

पतंजलि ने कहा, ”यह शोध साबित करता है कि ऑर्थोग्रिट न केवल गठिया के लक्षणों को कम करता है, बल्कि बीमारी की प्रगति को रोकने में भी प्रभावी है. यह उपलब्धि आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के बीच एक सेतु का निर्माण करती है, जो गठिया से पीड़ित लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है. पतंजलि का यह शोध न केवल भारत बल्कि विश्व में आयुर्वेद की वैज्ञानिक मान्यता को और सशक्त करता है.”

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